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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | उवेइ बंधो, जहण्णवज्जो विसमो समो वा ॥२००॥ गतिपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! २ दुविहे पं० २०-फुसमाणगति०॥ य अफुसमाणगति० य, अहवा दीहगइ० य हस्सगइपरिणामे य, संठाणपरिणामे णं भंते! कतिविथे पं०? गो०! २ पंचविथे पं० तं०-परिमंडलसंठाणपरि० जाव आयतसं०, भेदपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! २ पंचविधे पं० २०-खंडभेद० जाव उक्करियाभेदपरि०, वण्णपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! पंचविधे पं० २०-कालवण्णप० जावसुकिल्ल०, गंधपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! २ दुविहे पं० २०-सुब्भिगंध० दुन्भि०, रसपरिणामे णं भंते! कतिविधे पं०? गो०! २ पंचविहे ६००-तित्तरस० जाव महुर०, फासपरिणाम णं भंते! कतिविधे पं०?, गो०! २ अढविधे पं० २०-कक्खडफासपरिणामे य जाव लुक्खफास०, अगुरुलहुयपरिणामे णं भंते! कतिविहे पं०?, गो०! २ एगागारे पं०, सहपरिणामे णं भंते! कतिविहे पं०?, गो०! २ दुविहे पं० २० सुब्भिसद्द० य दुब्भिसहपरिणामे य, सेत्तं अजीवपरिणामे १८५॥ परिणामपयं १३ ॥ कति णं भंते! क्साया पं०?, गो०! चत्तारि कसाया पं० ०-कोह० माण० माया० लोभकसाए, नेरइयाणं भंते! कति कसाया पं०?, गो०! चत्तारि कसाया पं० २०-कोहकसाए जाव लोभकसाए, एवं जाव वेमाणियाणं । १८६। कतिपतिहिए णं भंते! कोहे पं०?, गो०! च्पतिहिए कोहे पं० २०-आयपतिहिए पर५० तदुभय० अप्पइद्विते, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं दंडतो, एवं माणेणं मायाए लोभेणं दंडओ, कतिविहे (हिं) णं भंते! ठाणेहिं कोहुप्पत्ती भवति?, गो०! चउहि ठाणेहिं कोहुप्पत्ती || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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