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कप्योवगवेमाणियदेवेहिंतो कप्यातीतवेमाणियदेवेहिंतो?, गो०! कप्योवगवेमाणिय० नो कप्यातीतवेमाणिय०,जड़ कप्पोवगवेमाणिय० किं सोहम्मे हितो जावअच्चुएहितो?, गो०! सोहम्भीसाणेहिंतो० नो सणंकुमारजावअच्चुएहितो०,एवं आउकाइयावि, तेउवाउकाइयावि नवरं देववजेहिंतो, वणस्सइकाइया जहा पुढवीकाइया॥१३१। बेइंदिया तेइंदिया चरिदिया एते जहा तेउवाऊ देववजेहिंतो भाणियव्वा॥१३२॥ पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! कओहिंतो उववजति?, किं नेइएहितो जाव किं देवेहितो?, गो०! नेरइएहितोवि तिरिक्खजोणिएहितोवि मणुस्सेहिंतोवि देवेहितोवि, जइ नेरइएहितो किं रयणप्पभापुढवीनेरइएहितो जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइएहितो?, गो०! रयणप्पभापुढवि० जाव अहेसत्तमापुढवि०, जइ तिरिक्खजोणिएहिंतो उववजति किं एगिदिएहितो जाव पंचिंदिएहितो?, गो०! एगिदिएहितोवि जाव पंचिंदिएहितोवि, जइ एगिदिएहितो किं पुढवीकाइएहितो उवव० एवं जहा पुढवीकाइयाणं उववाओ भणिओ तहेव एएसिपि भाणियव्वो नवरं देवेहितो जाव सहस्सार कप्पोवग० नो आणयकप्पोवगजावअच्चुएहितोवि उववज्जति।१३३१ मणुस्सा णं भंते०! कओहिंतो उवव० किं नेरइएहितो जाव देवेहितो?, गो०! नेरइएहितोवि जाव देवेहितोवि, जइ नेरइएहितो किं रयणप्पभा० एहितो जाव अहेसत्तमा० एहिंतो उववजंति?, गो०! रयणप्पभा० |एहिंतोवि जाव तमापुढवी०, नो अहेसत्तमा० एहितो, जइ तिरिक्खजोणिएहितो किं एगिदियतिरिक्व० एवं जेहिंतो पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं उववाओ भणिओ तेहिंतो मणुस्साणवि निरवसेसो भाणियव्वो नवरं अहेसत्तमापुढवीनेरइएहितो ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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