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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छट्ठाण०, जहन्नगुणसीताणं अणंतपएसियाणं पुच्छा, गो०! अणंता, से केण?, गो०! जहन्नगुणसीते अणंतपएसिए|| जहन्नगुणसीतस्स अणंतपएसियस्स दव्वद्र्याए तुल्ले पएस० छट्ठाण० ओगाहण० चट्ठाण० ठिईए चउट्ठाण० वण्णाइपज्जवेहि छट्ठाण० सीयफासपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं सत्तफासपज्जवेहिं छट्ठाण०, एवं उक्कोसगुणसीतेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणसीतेवि एवं चेव नवरं सहाणे छट्ठाण०, एवं उसिणनिद्धलुक्खे जहा सीते प्रमाणुपोग्गलस्स तहेव, पडिवक्खो सव्वेसिं न भण्णइत्ति भाणियव्वी१२० जहन्नपएसियाणं भंते! खंधाणं पुच्छा, गो०! अणंता, से केण०?, गो०! जहन्नुपएसिए खंधे जहन्नपएसियस्स खंधस्स दवट्ठयाए पएस० तुल्ले ओगाहणट्टयाए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए जइ होणे पएसहीणे अह अब्भहिए पएसमन्महिए ठिईए चउट्ठाणवडिए वन्नगंधरसउरिल्लचउफासपज्जवेहिं छट्ठाण०, उक्कोसपएसियाणं मते! खंधाणं पुच्छा, गो०! अणंता०, से के०?, गो०! उक्को० खंधे उक्कोसपएसियस्स खंधस्स दव्वट्ठयाए पएस० तुल्ले ओगाहणट्टयाए चउट्ठाण० ठिईए चट्ठाण० वण्णाइअट्ठफासपज्जवेहि य छट्ठाण, अजहन्नमणुक्कोसपासियाणं भंते! खंधाणं केवइया प्रज्जवा पं०?, गो०! अणंता०, से केणटेणं०?, गो०! अजहन्नमणुक्कोसपएसिए खंधे अजह नभणुक्कोसपएसियस खंधस्स दव्वट्ठयाए तुल्ले पएस०! छट्ठाण० ओगाहण० चट्ठाण ठिईए चउट्ठाण० वण्णाइअट्ठफासपज्जवेहि य छठाण०, जहन्नीगाहणगाणं भंते! पोग्गलाणं पुच्छा, गो०! अणंता, से केण्डेणं०?, गो०! जहन्नीगाहणए पोग्गले जहन्नोगाहणगस्स पोग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएस० छट्ठाण || श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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