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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चट्ठाण०, एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणकालएवि एवं चेव नवरं सट्टाणे छट्ठाण०, जहन्नगुण कालयाणं भंते! अणंतपएसियाणं पुच्छा, गो० अणंता, से केण०?, गो०! जहन्नगुणकालए अणंतपएसिए जहन्नगुणकालयस्स० दव्वट्ठयाए तुल्ले पएस० छट्ठाण० ओगाहण० चउठाण० ठिईए चउट्ठाण कालवण्णपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं वन्नादिअट्ठफासेहि य छट्ठाण०, एवं उक्कोसगुणकालएवि, अजहन्नमणुक्कोसगुणकालएविएवं चेव नवरं सट्ठाणे छट्ठाण,एवं नीललोहियहालिहसुक्किलसुब्भिगंधदुब्भिगंधतित्तकडुयकसायअंबिलमहररस अट्ठफासपज्जवेहि य वत्तव्वया भाणियव्वा, नवरं परमाणुपोग्गलस्स सुब्भिगंधस्स दुब्भिगंधो न भण्णइ दुब्भिगंधस्स सुब्भिगंधो न भण्णइ तित्तस्स अवसेसं न भण्णति, एवं कडुयादीणवि, अवसेसं तं चेव, जहन्नगुणकक्खडाणं अणंतपएसियाणं खंधाणं पुच्छा, गो०! अणंता, से केण?, गो०! जहन्नगुणकक्खडे अणंतपएसिए जहन्नगुणकक्खडस्स अणंतपएसियस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएस० छट्ठाण० ओगाहण० चउठाण० ठिईए चट्ठाण वन्नगंधरसेहिं छ टाण० कक्खडफासपज्जवेहिं तुल्ले अवसेसेहिं सत्तफासपजवेहिं छट्ठाण०, एवं उक्कोसगुणकक्खडेवि, अजहन्नमणुक्कोसगुण कक्खडेवि एवं चेव नवरं सहाणे छट्ठाण, एवं मध्यगुरुय लहुएवि भाणियवं, जहन्नगुणसीयाणं भंते! परमाणुपोग्गलाणं पुच्छा, गो०! अणंता, से केण?, गो०! जहन्नगुणसीए परमाणुपोग्गले जहन्नगुणसीतस्स परमाणुपुग्गलस्स दवट्ठयाए तुल्ले पएस० तुल्ले ओगाहण० तुल्ले लिईए चउट्ठाण वनगंधरसेहिं छट्ठाण० सीयफासपज्जवेहि य तुल्ले उसिणफासो न भण्णति निद्धलुक्खफासपज्जवेहि ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित | १२७ For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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