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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir |णं भंते! कइविहा पं०?, गो०! दुविहा पं० ०-रुविअजीवपज्जवा य अरूविअजीवपजवा य, अरूविअजीव० कईविहा पं०?, || गो०! दसविहा पं० २०-धम्मत्थिकाए धमथिकायस्स देसे धमस्थिकायस्सपएसा अहमस्थिकाए अहम्मत्थिकायस्स देसे अहम्भत्थिकायस्स पएसा आगासस्थिकाए आगासस्थिकायस्स देसे आगासस्थिकायस्स पएसा अद्धासमए ।११८) रूविअजीवपजवा णं भंते! कइविहा पं०?, गो०! चउव्विहा पं० २०-खंधा खंधदेशा खंधपएसा परमाणुपुग्गला, ते णं भंते! किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता?, गो०! नो संखेज्जा नो असंखेजा अणंता, से केण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ नो संखेजा नो असंखेज्जा अणंता?, गो०! अणंता परमाणुपुग्गला, अणंता दुपएसिया खंधा जाव अणंता दसपएसिया अणंता संखिजपएसिया अणंता असंखिजपएसिया अणंता अणंतपएसिया खंधा, से तेणटेणं गो०! एवं वुच्चइ ते णं नो संखिज्जा नो असंखिज्जा अणंता ११९। परमाणुपोग्गलाण भंते! केवइया प्रज्जवा पं०?, गो०! परमाणुपोग्गलाणं अणंता प्रज्जवा पं०, से केण्टेणं० परमाणु० अणंता०?, गो०! प्रमाणुपुग्गले परमाणुपोग्गलस्स दवटुपएसट्टयाए तुल्ले ओगाहण० तुल्ले ठिईए सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए जइ होणे असंखिज्जइभागहीणे वा संखिज्जइभाग० वा संखिज्जइगुण० वा असंखिज्जइगुण वा अह अब्भहिए असंखिज्जइभागअब्भहिए वा संखिज्जइभाग० वा संखिजगुणअ० वा असंखिजगुण० वा, कालवन्नपजवेहिं सिय हीणे सिय तुल्ले सिय अब्भहिए जड़ हीणे अणंतभागहीणे वा असंखिज्जइभाग० वा संखिज्जइभाग० वा संखिजगुण वा असंखिज्जगुण वा अणंतगुण वा अह अब्भहिए अणंतभाग० ॥ श्री प्रज्ञापनोपांगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021017
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages345
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_pragyapana
File Size19 MB
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