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कतिविह। णं भंते! संसारसमावण्णगा जीवा पं०?, गो०! छव्विहा पं० २०-पुढवीकाइया जाव तसकाइया, से किं तं पुढवीकाइया?, २ दुविहा पं० ०-सुहमपुढवीकाइया य बादरपुढवीकायिया य, से कि तं सुहुमपुढवीकाइया?, २ दुविहा पं० तं०-पजत्तगा य अपज्जत्तगा य, सेत्तं सुहमपुढवीकाइया, से कि तं बादरपुढविक्काइया?, २ दुविहा पं० २०-प्रज्जत्ता य अपज्जत्तगा य एवं जहा पण्णवणापदे सहा सत्तविधा पं० खरा अणेगविहा पं० जाव असंखेजा, सेत्तं बादरपुढविक्काइया, सेत्तं पुढविक्काइया, एवं चेव जहा पण्णवणापदे तहेव निवसेसं भाणितव्वं जाव वणप्फतिकाइया एवं जाव जत्थेको तत्थ सिता संखेजा सिय असंखेजा सिता अणंता, सेत्तं बादरवणप्फतिकाइया, सेत्तं वणस्सइकाइया, से किं तं तसकाइया?, २ चविहा पं० २०-बेइंदिया तेइंदिया चरिदिया पंचेंदिया, से किं तं बेइंदिया?, २ अणेगविधा पं०, एवं जं चेव पण्णवणापदे तं चेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवा, सेत्तं अणुत्तरोववाइया, सेत्तं देवा, सेत्तं पंचेंदिया, सेत्तं तसकाइया । १०१। कतिविधा णं भंते! पुढवी पं०? गो०! छव्विहा पुढवी पं० ०-सण्हापुढवी सुद्धपुढवी वालुयापुढवी भणोसिलापु० सकरापु० खरपुढवी, सण्हापुढवीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतोमु० उदो० एगं वाससहस्सं, सुद्धपुढवीए पुच्छा, गो०! जह० अंतोमु० उक्को० बारसवाससहस्साई, वालुयापुढवीए पुच्छा, गो०! जह० अंतोमु० उक्को० चोइस वाससहस्साई, मणोसिलापुढवीणं पुच्छा, गो०! जह० अंतोमु० उक्को० सोलस वाससहस्साई, सक्करापुढवीए पुच्छा, गो०! जह० अंतोमु० उक्को० अट्ठारस वाससहस्साई, श्री जीवाजीवाभिगम् ।।
पू. सागरजी म. संशोधित
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