SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir पं०, एवं तणुवातेवि ओवासंतरेवि, जहा सक्करम्पभा एवं जाव अधेसत्तमा । ७३ । इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए असीत उत्तर जोयणसयसहस्सबाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिजमाणीए अस्थि दव्वाइं वण्णतो कालनीललोहितहालिद्दसुक्किलाई गंधतो सुरभिदुब्भिगंधाई रसतो तित्तकडुयकसायअंबिलमहुराई फासतो कक्खडमउयगरुयलहु सीतउ सिणणिद्धलुक्खाई संठाणतो परिमंडलवट्टतं सचउरंस आययसंठगणपरिणयाई अन्नमन्नबद्धा अण्णमण्णपुट्ठाई अण्णमण्णओगाढाई अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धाई अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति?, हंता अत्थि, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पु० खरकंडस्स सोलसजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अत्थि दव्वाइं वण्णओ काल जाव परिणयाई ?, हंता अत्थि, इमीसे णं रयणप० रयणनामगस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं तं चेव जाव हंता अत्थि, एवं जाव रिट्ठस्स, इमीसे णं भंते! रयणप्प० पंकबहुलस्स चउरासीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्त्० तं चेव, एवं आउबहुलस्सवि असीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स, इमीसे णं भंते! रयणप्प० घणोदधिस्स वीसजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेदेण तहेव, एवं घणवातस्स असंखेज्जजोयणसहस्सबाहल्लस्स तहेव, ओवासंतरस्सवि तं चेव, सक्करम्पभाए णं भंते! पु० बत्तीसुत्तर जोयणसतसहस्सबाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिजमाणीए अत्थि दव्वाई वण्णतो जाव घडत्ताए चिट्ठति?, हंता अत्थि, एवं घणोदहिस्स वीसजोयणसहस्सबाहल्लस्स घणवात्स्स असंखेजजोयणसहस्सबाहल्लस्स एवं जाव ओवासंतरस्स, जहा सक्करप्पभाए एवं जाव असत्तमाए (७४ । इमा णं भंते! रयणप्पभा० किंसंठिता पं० ?, गो० ! झल्लरिसंठिता पं०, इमीसे णं भंते! रयणप्पभा० ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ४३ For Private And Personal
SR No.021016
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages267
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy