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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir |संखेजाई वासाइं, तेइंदिए णं भंते!० संखेज्जा राइंदिया, चरिदिए णं० संखेजा मासा, पच्चत्तपंचिंदिए० सागरोवमसयपुहुत्त सातिरेगं, एगिदियस्स णं भंते! अंतरं०, गो०! जह० अंतोमुहत्तं उक्को० दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमब्भहियाई, बेंदियस्स f० अंतरं होति?, गो०! जह० अंतोमुहत्तं उक्को० वणस्सइकालो, एवं तेइंदियस्स चरिदियस्स पंचेंदियस्स, अपज्जत्तगाणं एवं चेव, पज्जत्तगाणवि एवं चेव ॥२२५॥ एएसिं णं भंते ! एगिंदिय बेई० तेइं० च३० पंचिंदियाणं कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा |पंचेंदिया चारिदिया विसे० तेइंदिया विसे० बेइंदिया विसे० एगिंदिया अणंतगुणा, एवं अपजत्तगाणं सव्वत्थोवा पंचेंदिया अपज्जतगा चरिदिया अपजत्तगा विसे० तेइंदिया अपजत्तगा विसे० बेइंदिया अपज्जतगा विसे० एगिंदिया अपज्जतगा अणंतगुणा सइंदिया५० वि०, सव्वत्थोवा चरिदिया पज्जत्तगा पंचेंदिया पज्जत्तगा विसे० बेदियपजत्तगा विसे० तेइंदियपजतगा विसे० एगिदियपज्जत्तगा अणंतगुणा सइंदिया पज्जतगा विसे०, एतेसिं णं भंते! सइंदियाणं पजत्तगअपजत्तगाणं कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा सइंदिया अपजतगा सइंदिया पजतगा सखजगुणा, एवं एगिदियावि, एतेसिं णं भंते! बेइंदियाणं पजत्तापज्जतगाणं अप्पाबह ?, गो०! सव्वत्थोवा बेइंदिया पजत्तगा अपजत्तगा असंखेजगुणा, एवं दियचउरिदियपंचेंदियावि, एएसिं णं भंते! एगिंदियाणं बेइंदि० तेइंदि० चरिदि० पंचेंदियाण य पजत्तगाण य अपजत्तगाण य कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा चारिदिया पजत्तगा पंचेंदिया पज्जतगा विसे० बेइंदिया पजत्तगा विसे० तेइंदिया पजत्तगा विसे० पंचेंदिया अपज्जतगा असंखेजगुणा चरिदिया अपज्जत्ता विसे० || श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | २२२] पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021016
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages267
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size15 MB
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