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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir |संबद्धलेसागा॥३७॥ णक्खत्ताण सहस्सं एगं बावत्तरं च सतमण्णी छच्च सता छण्णउया महागह। तिण्णि य सहस्सा ॥३८॥|| अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साई। नव य सया पत्रासा तारागणकोडिकोडीणं ॥३९॥ सोभेसु वा० ११७६। कालोयं णं समुदं पुक्खरवरे गाम दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरि० तहेव जाव समचकवालसंठाणसंठिते नो विसमचकवालसंठाणसंठिए, पुक्खरवरे णं भंते! दीवे केवतियं चकवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो०! सोलस जोयणसतसहस्साई चकवालविक्खंभेणं 'एगा जोयणकोडी बाणउतिं खलु भवे सयसहस्सा। अढ सया चउणउया परीरओ पुक्खरवस्स ॥४०॥ से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं संपरि० दोण्हवि वण्णओ, पुक्खरवरस्स णं भंते! कति दारा पं०?, गो०! चत्तारि दारा पं० २०-विजए वेजयंते जयंते अपराजिते, कहिं गं भंते! पुक्खरवस्स दीवस्स विजए णामं दारे पं०?, गो०! पुक्खरवरदीवपुच्छिमपेरंते पुख्रोदसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरवरदीवस्स विजए णाभं दारे पं० तं चेव सव्वं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीओदा पत्थि भाणियव्वाओ, पुक्खरवस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य २ एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं०?, गो०! 'अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई। अगुणुत्तरा य चउरो दारंतर पुक्खरवरस्म |॥४१॥ पदेसा दोण्हवि पुढा, जीवा दोसुवि भाणियव्वा, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चति पुक्खरवरदीवे २?, गो०! पुक्खरवरे गंदीवे तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमिता जाव चिटुंति पउममहापउभक्खे एत्थ्णं पउमपुंडरीया ॥ श्री जीवाजीवाभिगम् ॥ | १७९ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021016
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages267
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size15 MB
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