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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir आगरीणं पुष्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्धमहकोसए य साहिति वणचराणं जंताई विसाई मूलकम आहेब( हिव्व पा० )आविंधणआभिओगमंतोसहिप्पओगे चोरियपरदारगमणबहुपावकम्मकाणं उक्खंधे गामघातवाओवणदहणतलागभेयणाणि बुद्धिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाई भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भावबहसंकिलिट्ठमलियाणि भूतधातोवधातियाई सच्चाइपि ताई हिंसकाई वयणाई उदाहरंति पुट्ठा वा अपुट्ठा वा परतत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उवदिसंति सहसा उठा गोणा गवया दमंतु परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलगकुकुडा य किजंतु किंणावेध य विक्केह पयह य सयणस्स देह पियय (खादत पिबत दत्त च पा०) दासिदासभयकभाइलका य सिस्सा य पेसकजणो कम्भकरा य किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति भारिया भेकरित्तु (करित्तु पा०) कम्मंगहणाई वणाई खेत्तखिलभूमिवल्लराई (छियन्तामखिलभूमिवाल्लराणिपा०) उत्तणघणसंकटाई डझंतु सूडिजंतु य रुक्खा भिजंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुझंतु पीलिजंतु य तिला पयावेह य इट्टकाउ मम घयाए खेत्ताई कसह कसावेह य लहुं गामआगरनगरखेडकब्बडे निविसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे पुण्फामि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताई गेण्हेह करेह संचयं परिजणट्ठयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिजंतु उप्पणिजंतु य लहुं च पविसंतु य कोडागारं अपमहउक्कोसगा य मंतु पोयसत्था सेणा णिज्जाउ जाउ डमरं घोरा वढंतु य संगामा पवहन्तु य सगवडवाहणाई उवणयणं चोलगं विवाहो जत्रो अमुगम्मि 3 होउ दिवसेसु करणेसु मुहुत्तेसु तिहिसु य अज होउ ण्हवणं मुदितं ॥ श्री प्रश्रव्याकरणदशाङ्गम् ॥ [पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal
SR No.021012
Book TitleAgam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages79
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size10 MB
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