________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir संसार कस्योधत्वात्प्रतिशकदोषोन॥ दुर्भिक्षेदेशविप्लवे विवाहेतीर्थगमनेएकनगरयामयी भास्कर // 33 // प्रतिक्रदोषोन॥इतिद्विरागमः॥ ॥विवाहेमार्ययासहभोजनमाहांगिराः॥ ब्राह्मण्या सहयोश्रीयादृच्छिष्टंयाकदाचन।तबदोषनमन्यतेसर्वएवमनीषिणः // 1 // एकपात्रेसमा भीयाद्विवाहेषुवधूवरो॥ तत्रदोषनमन्यतेआचारफरेषनैवचेति॥ संयहे॥ एकासनंचे कशय्याएकपात्रेचभोजनं॥एकत्रमंगलस्नानंएकवाहनरोहणं॥ कुर्वन्विवाहेएतानिमा विद्विषोनदोषभागिति॥ अथाफ्युदयिक श्राद्धोत्तरदेवकोत्थापनपर्यंतं निषिद्वकर्मा- // 337 // ||णि॥गार्ग्यः॥ नांदीश्राद्धेकृतेपश्चाद्यावन्मावृविसर्जनं॥ दर्शश्राद्धंक्षयप्राईस्मानंशी | | For Private and Personal Use Only