________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir संस्कार पाकेश्राद्धकर्तुः ॥रुतनिमंत्रणेबाहेतुग्राइप्सोक्तुरितिव्ययस्थेनिकालविवेचनकारादयः॥ भास्कर // 26 // शंकरभट्टकृतधर्मप्रकाशेतुतत्तस्मृतिषुपाकनिष्पत्तिकृतसंकसितनिमंत्राणांत्रयणामपि अशौचाभावनिमित्तयोक्तेनिमित्तत्रयसमुच्चयएयश्राद्धेनाशीचंतथैवशिष्टसमाचारादि युक्तं // मुहूर्तातरालालेसामय्यांकृतायांसूनकिनोप्यधिकारीपायमाह पारिजातेविष्णु ॥अनारब्यविशुध्यर्थंकूष्मांडैर्जुहुयाहृतं॥ गांदयासंचगव्याशीततः शुद्ध्यतिसूतकीति। ततःशुध्यतीतिपुनरुक्तिर्विवाहायुपयोगिपाकपरिवेषणादावपिशद्विज्ञापनार्था॥गांप|| | // 26 // यखिनींदद्यात्॥संकटेसमनुप्राप्ते सूतके समुपस्थिते॥कूष्मांडीभिघृतंहुलागांचदयात्पय / / For Private and Personal Use Only