________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir संस्कार न॥ इनिप्रत्यभिवादनं॥ // यथाहयाज्ञवल्क्यः॥दक्षिणपदमालफ्यपाणिनादक्षिणेनच॥ स भास्कर // 211 // व्येनसव्यंस्पृष्टव्यमभिवादनकर्मणि ॥व्यक्स्यपाणिनाकार्यअमिंसूर्यगुरूंतथा॥उपसंग्रहणय थाइतिपाठभेदः ॥उमाभ्यामपिहस्तायांकारयेछोत्रसदृशौइति॥ अन्यथादोषोस्तियथा॥जा न्मप्रतियकिंचिच्चिकित्साधर्ममाचरत्॥सर्वतन्निष्फलंयातिएकहस्ताभिवादनादिति॥अभि वादनंतु॥मोशब्दकीर्तयेदं तेस्वस्यनाम्नोभिवादने॥ आयुष्मान्भवसौम्येतिवाच्याप्रत्यभिवादने इति॥ प्रत्यभिवादनाकरणे॥ योनवेत्यभिवादस्यविप्र प्रत्यभिवादन।नाभिवायःसविदुषायथा // 21 // शूद्रस्तथैवसः॥इत्यभिवादनं॥ ॥संध्यावंदनाधिकारस्त ॥यावब्रह्मोपदेशोनतावत्संध्यादि For Private and Personal Use Only