________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Sh Kailassagarsuri Gyanmandie भास्कर संस्कार // 204 // ह्मणोब्रह्मवर्चसीजायते॥९॥एषा अतिव्याधीनामयज्ञो।नयज्ञेनयजन्त आराज योनिव्याधीजायते॥१०॥ एषवेदी|नामयज्ञोयत्रतेनयज्ञेनयजंत आदीर्घारण्य ज्ञायते॥ | // 11 // एषवैक्लुप्ति मयज्ञोयतेनयज्ञेनवजन्तेसर्वमेयलप्तमायति॥१२॥एषवैप्रतिष्ठानाम यज्ञोयतेनयज्ञेनयजन्तेसर्वमेवप्रतिष्ठितम्भवति॥१३॥ ॐ प्रनिष्टासपत्तिष्ठिननस्त॥ ब्रह्मवर्चसीभव॥ आब्रह्मन्नित्याशिषंदाः॥ ततःप्रेषयो।ब्रह्मचर्यमागामितिब्रूहीत्याचार्यो वदति॥ब्रह्मचर्यआगामितिकुमारोब्रूयात्॥ब्रह्मचारीपाड्मुखस्तिष्ठन्ब्रह्मचर्यमागामि || | // 20 // निब्रूयादितिगदाधरादयः।।उदङ्मुखइतिरेएदीक्षिताः ॥ब्रह्मचार्य सानीतिबृहीत्याचार्यो | For Private and Personal Use Only