________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir संस्कार यूनहनोदशावधीति॥ सार्धचत्वारिपंचर्चासप्तहस्तसमुछित्तः॥नारिकेलदलैर्बाह्ये- भास्कर // 194|| दुकूलादिभिरंतरे॥ छादयेन्मंडपसर्वचतुरिविवर्जितमिति॥ ॥वेदीच॥ बटोर्वेदीप|| कर्तव्याचतुरस्त्राचनुःकरा॥ करोन्नताबटोहरलै पृष्टेसोपानसंयुता॥१॥विवाहेश्रीधरीवेदी विंशत्यससमन्विता॥ चतुर्विंशत्यत्रयुनावतेवेदीप्रकीर्तिता॥१॥विवाहोपनयेवेदीएनेषुवज्जर च्यते॥ तदयेकलशाकारमितियज्ञविदांमतं // 1 // गृहान्निर्गमवामांगेवसोचियेदिका॥ कार्याविवाहेविद्भिौजीनांग्रहदक्षिणेइतिगृह्यकारिका।वेदीकुर्यास्यगेहा | // 194 // स्य वामेमंडपमंडितां॥ हस्तोछिनांचतुर्हस्तांकन्यायाश्यव्रतेवटोः॥ रत्नावल्यां॥ पश्चिमा For Private and Personal Use Only