________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir स्नानार्थमर्पित॥१॥ ॐ पय पृथिव्याम्पय ओषधीषुपयौदिव्यनरिक्षेपयोधाः ॥पर्यस्य ती. प्रदिशः सन्तुमयम्॥१॥ ॐ भू-सि-म-पयःस्मानंस // पयःस्नानांतेशद्धोदकरमानंस०॥पयसस्तुसमुद्भूतंमधुराम्रंशशिप्रसं॥दध्यानीतंमयादेवस्नानार्थप्रति गृह्यतां॥२॥ ॐ दधिक्राव्णो: अकारिषजिष्णोरश्वस्यवाजिनः // सुरभिनो| मुरवाकरण आयूट षितारिषत्॥२॥ ॐ भू-सि-म- दधिस्मानं // नवनीतसमुत्सा नंसर्वसंतोषकारकं॥घृतंतुमयंप्रदास्यामिस्नानार्थप्रतिगृह्यतां // 3 // ॐ घृतम्मिमिक्षेतम॑स्य॒योनिघृतश्रितोघृतम्बस्य॒धाम॥ अनुयुधमाह मादयस्वस्वाहारुत। For Private and Personal Use Only