________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandie संस्कार तिःसांगतादक्षिणार्पणे॥ ॥पंचोपचारस्त॥ // गंधपुष्पधूपदीपौनैवेद्यइतिपंचकं॥पं भास्कर // 20 // चोपचारमारख्यातं पूजनेतत्वविधैः॥१॥ ॥राजोपचारास्त॥ // ततःपंचामृताभ्यंगम गस्योहर्त्तनंनथा॥मधुपर्कपरिमलद्रव्याणिविविधानिच॥१॥पादुकोदोलनादर्शव्यजनंछबचामरे॥वाद्यार्तिक्यनृत्यगीतशय्याराजोपचारकान्॥२॥ ॥अथधनिकादिपदेय दक्षिणार्यद्रव्येयत्ताव्यवस्थामाह॥तवादोधनिकादिलक्षणं॥ वाराहे॥ वर्धयित्वाधनंय स्त तस्माद्धासमपीहयः॥नरवादेत्संग्रहपरोधनिकः सउदाहृतः॥१॥ पोषणीय कुटुंबस्या // 20 // |निर्वाहोयावनाभवेत्॥ तावदेवरूखंयेनलभतेपतिवार्षिकं ॥ऋणयस्यतु नास्त्येवसमध्य / For Private and Personal Use Only