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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir आराहेत्ता जेणेव अजचंदणा अज्जा तेणेव उवा०व० न० त्ता बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणी विहरति, तते णं सा महासेणकण्हा || अज्जा तेणं ओरालेणं जाव उवसोभेमाणी चिट्ठइ, तए णं तीसे महासेणकण्हाए अजाए अन्या क्याई पुव्वरत्तावत्तकाले चिंता/ जहा खंदयस्स जाव अज्जचंदणं पुच्छइ जाव संलेहणा, कालं अणवखमाणी विहरति, त० सा महासेणकण्हा अजा अज्जचंदणाए अजाए अं० सामाइयाइयाति एक्कारस अंगाई अहिजित्ता बहुपडिपुत्रातिं सत्तरस वासातिं परियायं पालइत्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेत्ता सटुिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता जस्साए कीरइ जाव तमटुं आराहेति चरिमउस्सासणीसासेहिं सिद्धा बुद्धा० अद्ध य वासा आदी एक्कोत्तरियाए जाव सत्तरसा एसो खलु परिताओ सेणियभजाणणायव्वो ॥१२॥ एवं खलु जंबू! समणेणं भगवता महावीरेणं आदिगरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पं० २६॥ अन्तगडदसांगं समत्ती अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयखंधो अट्ठ वग्गा अट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दिसिजति, तत्थ पढमबितियवग्गे दस दस उद्देसगा तइयवग्गे तेरस उद्देसगा चउत्थपंचमवग्गे दस दस उद्देस्या छट्ठवग्गे सोलस उद्देसगा सत्तमवग्गे तेरस उद्देसगा अट्ठभवग्गे दस उद्देसगा सेसं जहा नायाधम्मकहाणं ॥२७॥ इति श्रीमदन्तकृद्दशाङ्गम् सूत्रं संपूर्ण प्रभु महावीरस्वामीनी पट्टपरंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा-चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता परमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक, सैलाना नरेश प्रतिबोधक, देवसूर तपागच्छ, समाचारी संरक्षक, आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्यदेवेश् श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ प्रतापी॥ श्रीमदन्तकृद्दशाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधिता For Private And Personal
SR No.021010
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages54
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size7 MB
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