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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तए णं तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता जाव विकड्ढेमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए तेणेव उवागच्छ३ त्ता मोहम्माय जाव एवं व०- तहेव जाव दोच्चपि तच्चपि एवं व०, तए णं से महासया समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चंपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे आसुरुते० ओहिं पउञ्जइ त्ता ओहिणा आभोएइ त्ता रेवई गाहावइणिं एवं व०-जाव उववजिहिसि, नो खलु कप्पड़ गोयमा! समणोवासगस्स अपच्छिमजावझूसियसरीरस्स भत्तयाणपडियाइक्खियस्स परो सन्तेहिं तच्चहि तहिएहिं सब्भूएहिं अणिद्वेहि अकन्तेहिं अप्पिएहिं अमणुण्णेहिं अभाभेहिं वागरणेहिं वागरित्तए, तं गच्छ गं देवाणुप्पिया! तुझं महासययं समणोवासयं एवं वयाहि नो खलु देवाणुप्पिया! कप्पइ समणोवासगस्स अपच्छिम् जाव भत्तपाणपडियाइ विख्यस्स परो सन्तेहिं जान देवाणुप्पिया! रेवई गाहवइणी सन्तेहिं० अणिटेहिं० वागरणेहिं वागरिया तं गं तुझं एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव जहारिहं च पायच्छित्तं पडिवजाहि, तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओमहावीरस्स तहत्ति एयभट्ठ विणएणं पडिसुणेइत्ता तओ पडिणिक्खमइ त्ता रायगिहं नया मझमझेणं अणुप्पविसइ त्ता जेणेव महासयगस्स समणोवसायस्स गिहे जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, तए णं से महासयए समणोवासए भगवं गोयमं एज्जमाणं पासइ त्ता हट्ठजावहियए भगवं गोयभं वन्दइ नभंसइ, तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणो० एवं व०- एवं खलु देवाणुप्पिया! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमे णं देवाणुप्पिया! रेवई गाहवइणी सन्तेहिं जाव वागरिया तं णं ॥ उपासक्दशांगं सूत्र॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021009
Book TitleAgam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages65
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_upasakdasha
File Size7 MB
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