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________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir |पंडुइयमुही करयलमलियव्य चंयगमाला णित्ते या दीगविवण्णवयणा जहोचियपुष्पगंधमलालंकारहारं अणभिलसमाणी) कीडारमणकिरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगयदिट्ठीया ओहयभणसंकल्या जाव झियायइ, तते णं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडीयाओधारिणी देवी ओलुग्गं जाव झियायमाणिं पासंतित्ता एवं वदासी किण्णं तुमे | देवाणुप्पिए ! ओलुगा ओलुग्गसरीराजाव झियायसि ?,तते णं साधारणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं एवं वुत्ता समाणी (प्र० ताओ चेडीओ) नो आढाति णोय परियाणाति अगाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणिया संचिट्ठति, त्ते णं ताओ अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणी देवी दोच्चंपि तच्चपि एवं व्यासी किन्नं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलग्गसरीराजाव झियायसि ?,तते णं साधारिणीदेवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अब्भितरियाहिं दासचेडियाहिं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ता सभाणी णो आढाति णो परियाणति अगाढायमाणा अपरियायमाणा तुसिणिया संचिट्ठति, तते णं ताओ अंगपडियारियाओ दासचेडियाओधारिणीए देवीए अणाढातिजमाणीओ अपरिजाणिजमाणीओ तहेवसंभंताओ समाणीओ धारणीए देवीए अंतियाओ|| पडिनिक्खमति त्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति त्ता करतलपरिग्गहियं जाव कटु जएणं विजएणं वद्धाति त्ता एवं व०एवं खलु सामी ! किंपि अज धारिणीदेवी ओलुग्गा ओलुगसरीरा जाव अट्टझाणोवगया झियायति, तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे सिग्धं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव धारिणीदेवी तेणेव (पहारेत्य श्रीज्ञाताधर्मकथाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021008
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Prakashan
Publication Year2005
Total Pages279
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size74 MB
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