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________________ Shri Mahavir Jain Arachana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsun Gyanmandir ||आपुच्छति जाव गोवालियाणं अंतिए पव्वइया, तते णं सा सूमालिया अजा जाया ईरियासमिया जाव बंभयारिणी बहूहिं चउत्थछट्ठम || जाव विहरति, तते णं सा सूमालिया अज्जा अन्नया क्याई जेणेव गोवालियाओ अजाओ तेणेव उवा०त्ता वंदति नमंसति त्ता एवंव०इच्छामि णं अज्जाओ! तुब्भेहिं अब्भणुनाया सभाणी चंपाओ बाहिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरमामंते छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुही आयावेमाणी विहरित्तए, तते णं ताओ गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं एवं व०- अम्हे णं अजे! समणीओ निग्गंथीओ ईरियासमियाओ जावगुत्तबंभचारिणीओ नोखलु अम्हें कप्पति बहिया गामस्सजावसण्णिवेससवा छटुंजावविहरित्तए, कप्पतिणं अहं अंतो उवस्सयस्स वतिपरिक्खित्तस्स संघाडिबुद्धियाए णं समतलपतियाए आयावित्तए, तते णं सा सूमालिया गोवालिया एयभटुं नो सदहति नो पत्तियइ नो रोएति एयमटुं अ० सुभूमिभागस्स उजाणस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं जाव विहरति ।११९। तत्थ णं चंपाए ललिया नाम गोही परिवसति, नरवइदिण्णवि (५)यार। अम्मापिइनिययनिम्पिवासा वेसविहारक यनिके या नाणविहअविणयप्पहाणा अड्डा जाव अपरिभूया, तत्थ णं चंपाए देवदत्ता नामं गणिया होत्था सुकुमाला जहा अंडणाए, तते णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अन्नया पंच गोहिल्लगपुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उजाणस्स उजाणसिरि पच्च्णुब्भवमाणा विहरंति, तत्थ् णं एगे गोहिल्लगपुरिसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे धरति एगे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ एगे पुष्फपूरयं रएइ एगे पाए रएइ एगे चामरुक्खेवं करेइ, तते णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहि गोहिल्लपुरिसेहिं सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई ॥श्रीझानाधर्मकथाङ्गम् ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021008
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Prakashan
Publication Year2005
Total Pages279
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_gyatadharmkatha
File Size74 MB
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