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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir उवव० नो परकम्मुणा उवव० एवं जाव वेमाणिया, एवं उव्वट्टणादंडओऽवि, नेरइया णं भंते! किं आयप्पओगेणं उववजन्ति परप्पओगेणं उववजति?, गोयमा! आयप्पओगेणं उव० नो परप्पयोगेणं ३० जाव वेमाणिया, एवं उव्वट्टणादंडओऽवि ६८७। नेरइया णं भंते! किं कतिसंचिया अकतिसंचिया अवत्तव्यगसंचिया?, गोयमा! नेरइया कतिसंचियान्वि अकतिसंचियावि अवत्तव्वगसंचियावि, से केण० जाव अवत्तव्वगसंचियावि?, गोयमा! जे णं नेरइया संखेजएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचिया जे णं नेरझ्या असंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया अकतिसंचिया, जे णं नेरइया एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया अवत्तव्वगसंचिया, से तेणटेणं गोयमा! जाव अवत्तव्वगसंचियावि, एवं जाव थणिय०, पुढविकाइयाणं पुच्छा, गोयमा! पुढवीकाइया नो कइसंचिया अकइसंचिया नो अवत्तव्वगसं०, से केणटेणं भंते! एवं वुच्चइ जाव नो अवत्तव्वगसंचिया?, गोयमा! पुढवीकाइया असंखेजएणं पवेसणएणं पविसंति से तेण्डेणं जाव नो आवत्तव्वगसंचिया, जाव नो अवत्तव्वगसंचिया, जाव वण०, बेदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा णं पुच्छा, गोयमा! सिद्धा कतिसंचिया नो अकतिसंचिया अवत्तव्वगसंचियावि, से केणटे० जाव अवत्तव्वगसंचियावि?, गोयमा! जे णं सिद्धा संखेज्जएणं पवेसणएणं पविसति ते णं सिद्धा कतिसंचिया जे णं सिद्धा एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा अवत्तव्वगसंचिया, से तेणटेणं जाव अवत्तव्वगसंचियावि, एएसिंणं भंते! नेरइ० कतिसंचियाणं अकतिसंचियाणं अवत्तव्वसंचियाण य कयरे जाव विसेसाहिया वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा नेरइया अवत्तव्गसंचिया कतिसंचिया ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
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