SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 84
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir कइविहे गं भंते! बंधे पं०?, गोयमा ! तिविहे पं००-जीवपयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे, नेरइयाणं भंते! कइविहे बंधे पं०?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, नाणावरणिजस्स णं भंते! कम्मस्स कइविहे बंधे पं०?, गोयमा! तिविहे बंधे पं० २०-जीवपयोगबंधे अणंतरबंधे परंपरबंधे, नेरइयाणं भंते! नाणावरणिजस्स कम्मरस कविहे बंधे पं०?, एवं चेव, एवं जाव वेमाणियाणं, एवं जाव अंतराइयस्स, णाणावरणिजोदयस्स णं भंते! कम्मरस कविहे बंधे पं०?, गोयमा! तिविहे बंधे पं०, एवं चेव, एवं नेरइयाणवि, एवं जाव वेमाणियाणं, जाव अंतराइउदयस्स, इत्थीवेदस्सणं भंते! कविहे बंधे पं०?, गोयमा! तिविहे बंधे पं० एवं चेव, असुरकुमारणं भंते! इत्थीवेदस्स कतिविहे बंधे पं०?, गोयमा! तिविहे बंधे पं० एवं चेव, वंजाव माणियाणं, नवरं जस्स इथिवेदो अस्थि, एवं पुरिसवेदस्सवि, एवं नपुंसग० जाव वेमाणियाणं, नवरं जस्स जो अस्थि वेदो, दंसणमोहणिजस्म णं भंते! कम्मस्स कइविहे बंधे०?, एवं चेव निरंतरं जाव वेमा०, एवं चरित्तमोहणिजस्सवि जाव वेमाणियाणं, एवं एएणं कमेणं ओरालियसीरस्स जाव कम्मगसरीरस्स आहारसनाए जाव परिग्गह० कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए आभिणिबोहियणाणस्स जाव केवलनाणस्स मइअनाणस्स सुयअन्नाणस्स विभंगनाणस्स एवं आभिणिबोहियणाणविसयस्स० भंते! कइविहे बंधे पं०?, जाव केवलनाणविसयस्सवि, मइअन्नाणविसयस्स सुयअनाणविसयस्स विभंगणाणविसयस्स, एएसिं सव्वेसिं पदाणं तिविहे बंधे पं०, सव्वेऽवते चउव्वीसं दंडगा भा० नवरं जाणियव्वं जस्स जं अत्थि जाव वेमाणियाणं भंते ! विभंगणाणविसयस्स कइविहे बंधे पं०?, ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ [पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021007
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages212
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy