________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandin
| पुढवीकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिप भाराए, एवं जहा रयणष्पभाए वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसीप भाराए उववायव्वो । सेवं भंते! रत्ति १६०५ ॥ ३० १७३० ६ ॥
पुढवीकाइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए ता जे भविए इमी से रयणप्पभाए पुढवीए पुढवीकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते! किं पुव्वि सेसं तं चेव, जहा रयणप्पभाए पुढवीकाइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिप भाराए ताव उववाइओ एवं सोहम्मपुढवीकाइओऽवि सत्तसुवि पुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहे सत्तमाए, एवं जहा सोहम्मपुढवीकाइओ सव्वपुढवीसु उववाइओ एवं जाव | ईसिपब्भारापुढवीकाइओ सव्वपुढवीसु उववाएयव्वो जाव अहेसत्तमाए । सेवं भंते! २ ६०६ ॥ १३० १७३०७ ॥
आक्काइए णं ते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोह० त्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए एवं जहा पुढवीकाइओ तहा आउकाइओऽवि सव्वकम्पेसु जाव ईसिपब्भाराए तहेव उववाएयव्वो, एवं जहा रयणम्पभाआउकाइओ उववाइओ तहा जाव अहसत्तमापुढवी आउकाइओ उववाएयव्वो जाव ईसिप भाराए । सेवं भंते! २२६०७ ॥ २० १७३० ८ ॥
आउकाइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए समोह० जे भविए इमीसे रयणप्पभार पुढवीए घणोदधिवलेसु आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते! सेसं तं चेव एवं जाव अहेसत्तमाए, जहा सोहम्म आउक्काइओ एवं जाव ईसिप भाराआउक्काइओ जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो । सेवं भंते! २ ६०८ ॥ २० १७३०९ ॥
॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
११
For Private And Personal
पू. सागरजी म. संशोधित