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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ, सासए जीवे जमाली! जंन कयाइ णासी जाव णिच्चे, असासए जीवे|| जमाली! जन्नं नेरइएभवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्से भवित्ता देवे भवइ, तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जावएवं परवेमाणस एयमटुं णो सद्दहइ णो पत्तियइ णो रोएइ एयमढे असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चपि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ आयाए अवक्कमइत्ता बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं भिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अय्याणं च परं च तदुभ्यं च वुग्गाहेमाणे बहुयाई वासाइं सामनपरियागं पाउणइ त्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणंझूसेइ त्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेति त्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिकते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमठितिएसु देवकिदिवसिएसु देवेसु देवकिदिवसियत्ताए उववन्ने। ३८६। तए णं से भगवं गोयमे जमालिं अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीर तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुरिस्से जमालिणाम अणगारे से णं भंते! जमाली कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं| उववने?, गोयमादि समणे भगवंमहावीरे भगवं गोयम एवं क्यासी एवं खलु गोयमा! ममं अंतेवासी कुसिस्से जमाली नाम से णं तदा मम एं आइक्खमाणस्स० एयम8 णो सहह३० एयमटुं असद्दहमाणे० दोच्चंपिमम अंतियाओ आयाए अवकमइ त्ता बहूहिं| असब्भावुब्भावणाहिं तं चेव जाव देवकिव्विसियत्ताए उवव।। ३८७ कतिविहा णं भंते! देवकिब्बिसिया पं०, गोयमा! तिविहा | ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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