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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||वमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएसु वाणसंतरेसु वेमाणिएसु य होजा अहवा जोइसिएसु य भवणवासिसु य वाणमंतरेसु य/ वेमाणिएसु य होजा, एयस्स णं भंते ! भवणवासिदेववेसणगस्स वाणमंतर देवपवेसणगस्स जोइसियदेवपवेसणगस्स वेभाणियदेवपवेसणगस्सय कयरे जाव विसेसाहिएवा?, गंगेया ! सव्वत्थोवे वेभाणियदेवपवेसणए भवणवासिदेवपवेसणए असंखेजगुणे वाणमंतरदेवपवेसणए असंखेजगुणे जोइसियदेवपवेसणए संखेजगुणे ३७५ एयस्सणं भंते ! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्ख० मणुस्स० देवपवेसणगस्स कयरे जाव विसेसाहिए वा ?, गंगेया ! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए नेरइयपवेसणए असंखेजगुणे देवपवेसणए असंखेजगुणे तिरिक्खजोणियपवेसणए असंखेजगुणे ३७६ । संतरं भंते ! नेरइया उववजति निरंतरं नेरइया उववजति संतरं असुरकुमारा/ उववजति निरंतरं असुरकुमारा जाव संतरं वेमाणिया उववजति निरंतरं वेमाणिया उववजति संतरं नेरइया उव्वदृति निरंतर नेरतिया उव्वटुंति जाव संतरं वाणमंतरा उव्वटुंति निरंतरं वाणमंतरा उव्वटुंति संतरं जोइसिया चयंति निरंतरं जोइसिया चयंति संतरं वेमाणिया चयंति निरंतरं वेमाणिया चयंति ?, गंगेया ! संतरंपि नेतिया उववजंति निरंतरंपि नेरतिया उववजंति जाव संतरंपि थणियकुमारा उव्वजति निरंतरंपिथणियकुमारा उववजति नो संतरं पुढविक्काइया उववजति निरंतरं पुढविक्काइया उववजंति एवं जाववणस्सइकाइया सेसा जहा नेरइया जाव संतरपि वेमाणिया उववजति निरंतरपि वेमाणिया० उववजति, संतरपि नेरइया उव्वदृति निरंतरपि नेरइया उव्वटुंति एवं जाव थणियकुमारा नो संतरं पुढविक्काइया उव्वटुंति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वदृति एवं जाव वणस्सइकाइया सेसा जहा ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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