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________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्तमासपरियाए० सणकुमारमाहिंदाणं देवाणं० अट्ठमासपरियाए० बंभलोगलंतगाणं देवाणं तेय० नवमासपरियाए समणे० | | महासुक्कसहस्साराणं देवाणं तेय० दसमासपरियाए० आणयपाणयआरणच्चुयाणं देवाणं० एक्कारसमासपरियाए० गेवेज्जगाणं देवाणं० बारसमासपरियाए समणे निग्गंथे अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीयीवयति, तेणं परं सुक्के सुक्काभिजाए भवित्ता तओ पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति । सेवं भते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरति । ५३७ ॥ २० १४३० ९ ॥ केवली णं भंते! छउमत्थं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, जहा णं भंते! केवली छउमत्थं जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेऽवि छउमत्थं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते! आहोहियं जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं परमाहोहियं, एवं केवलिं एवं सिद्धं जाव जहा णं भंते! केवली सिद्धं जाणइ पासड़ तहा णं सिद्धेऽवि सिद्धं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, केवली णं भंते! भासेज्ज वा वागरेज्ज वा?, हंता भासेज्ज वा वागरेज्ज वा, जहा णं भंते! केवली भासेज वा वागरेज्ज वा तहा णं सिद्धेऽवि भासेज्ज वा वागरेज्ज वा?, णो तिणट्टे समट्टे, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चई जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा णो तहा णं सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा?, गोयमा ! केवली णं सउद्वाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार परक्कमे सिद्धे णं अणुट्ठाणे जाव अपुरिसक्कार परक्कमे, से तेणद्वेणं जाव वागरेज्ज वा, केवली णं भंते! उम्मिसेज निमिसेज्ज वा?, हंता उम्मिसेज्ज वा निमिसेज वा एवं चेव, एवं आउट्टेज्ज वा पसारेज्ज वा, एवं ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेएज्जा केवली णं भंते! इमं रयणष्पभं पुढविं रयणष्पभापुढवीति जाणति पासति ?, ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | २०२ पू. सागरजी म. संशोधित Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org For Private And Personal Use Only
SR No.021006
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 02 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages283
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size17 MB
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