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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देवा देवलोएसु उववजति, तत्थ् ण कासवे णाम थेरे ते समणोवासए एवं वदासी संगियाए अजो ! देवा देवलोएसु उववजति, पुव्वतवेणं पुव्वसंजमेणं कम्मियाए संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववजति, सच्चे णं एस अढे नो चेवणं आयभाववत्तव्वयाए, तए णं ते समणोवासया थेरेहिं भगवंतेहिं इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरिया सभाणा हतुवा थेरे भगवंते वंदंति नभसंति त्ता पसिणाई पुच्छंति त्ता अट्ठाई उवादियंति त्ता उठाइ उद्देति त्ता थेरे भगवंते तिक्खुत्तो वंदंति णमंसंति ना थेराणं भगवं० अंतियाओ पुप्फवतियाओ चेइयाओ पडिनिक्खियति त्ता जामेव दिसि पाउब्भूया तामेव दिसिंपडिगया, तए णं ते थे। अनया कयाई तुंगियाओ// पुष्फवतिचेइयाओ पडिनिगच्छत्ति त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । १०९ । तेणं कालेणं० रायगिहे नामं नगरे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूतीनाभं अणगारे जावसंखित्तविउलतेयलेस्से छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं तवोकमेणं संजमेणं तवसा अपाणं भावेमाणे जाव विहरति, तए णं से भगवं गोयमे छट्ठक्खभणपारणगंसि पढभाए पोरिसीए सज्झायं करेड़ बीयाए पोरिसीए झाणं झियायइ तइयाए पोरिसीए अतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ ता भायणाई (वत्थाई) पडिलेहेइ त्ता भायणाई एमज्जइ त्ता भायणाई उग्गाहेइ त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नभंसह त्तिा एवं वदासी इच्छामिणं भंते ! तुब्भेहिं अब्णुत्राए छट्ठक्मणपारणगंसिरायगिहे नगरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई धसमुदाणस्स | भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबंध० एणं भगवं गोयमे समणेणं भगव्या महावीरेणं अणुनाए समाणे ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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