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________________ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | भासओ णं भासा नो खलु सा अभासओ भासा, पुव्विं किरिया अदुक्खा जहा भासा नहा भाणियव्वा, किरिया वि जाव करणओ णं सा दुक्खा नो खलु सा अकरणओ दुक्खा, सेवं वत्तव्वं सिया किच्च दुक्खं फुसं कजमाणकडं दुक्खं कट्टु २ पाणभूयजीवसत्ता वेदणं वेदेंतीति वत्तव्वं सिया । ८१ । अण्णउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खति जाव एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ, पकरेंति, नं० - इंरियावहियं च संपराइयं च, (जंसमयं ईरियावहियं पकरेइ तंसमयं संपराइयं पकरेइ, जंसमयं संपराइयं पकरेइ तंसमयं । ईरियावहियं पकरेइ, ईरियावहियाए पकरणताएं संपराइयं पकरेइ संपराइयपकरणयाए ईरियावहियं पकरेइ, एवं खलु एगे जीवे एगेणं | समएणं दो किरियाओ पकरेति, नं० - ईरियावहियं च संपराइयं च से कहमेयं भंते ! एवं ?, गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति तं चेव जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एक्कं किरियं पकरेइ ) परउत्थियवत्तव्वं णेयव्वं, ससमयवत्तव्वयाए नेयव्वं जाव ईरियावहियं संपराइयं वा । ८२ । निरयगई णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पं० ?, गोयमा ! जहत्रेणं एवं समयं उक्को सेणं बारस मुहुत्ता, एवं वक्कंतीपयं भाणियव्वं निरवसेसं, सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ । ८३ । ३. १० इति प्रथमं शतकं ॥ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ऊसासखंदएऽविय १ समुग्धाय २ पुढविं ३ दिय ४ अन्नउत्थिभासा ५ य । देवा य ६ चमरचंचा ७ समय ८ खिन ९ त्थिकाय १० बीयस ॥ १९ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्या, वण्णओ, सामी समोसढे परिसा निग्गया धम्मो कहिओ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ४९ For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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