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जहानामए के पुरिसे वस्थिमाडोवइ वस्थिमाडोवित्ता उप्पिंसि तं बंधइ त्ता मझेणं गठिं बंधइ त्ता उवरिलं गंठि भुयइ त्ता उवरिलं देस। वामेइ त्ता उरिल्लं देसं आउयायस्स पूरेइत्ता उपिसि तं बंधइत्ता मझिलं गठिं भुयइ,से नूणं गोयमा ! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पि उवरितले चिटुइ ?, हंता चिट्ठ३, से तेणद्वेणं जाव जीवा कमसंगहिया, से जहा वा केइ पुरिसे वस्थिमाडोवेइ त्ता कडीए बंधइ त्ता अत्थाहमता( पा०५)-रमोपोरुसियंसि उदगंसिओगाहेजा,से नूणंगोयमा ! से पुरिसे तस्स आउयायस्स उप्पिं उवरितले चिटई?,हता। चिट्ठइ, एवं वा अविही लोयट्टिई ५० जाव जीवा कमसंगहिया १५५ अस्थि णं भंते ! जीवा य पोग्गलाय अनमत्रबद्धा अनमनपुट्टा, अत्रमन्नमोगाढा अत्रमनसिणेहपडिबद्धा अन्नमत्रसमभरघडताए चिटुंति ?,हंता अस्थि, सेकेणद्वेणं भंते ! जाव चिटुंति ?, गोयमा ! से जहानाभए हरदे सिया पुण्णे पुण्णणमाणे वोलाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चितुइ, अहे गं केइ पुरिसे तंसि हरदंसि एगं महं नावं सयासवंसयछिडं ओगाहेजा, से नूणं गोयमा ! साणावा तेहिं असवदारहिं आपूरभाणी २ पुण्णा पुण्णप्यमाणा वोलट्टभाणावोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठइ ?, हंता चिटुइ, से तेजटेणं गोयमा ! अस्थि शं जीवा य जाव चिट्ठति । ५६। अस्थिणं भंते! सया समियं सुहुमे सिणेहकाये पवडइ ?, हंता अस्थि, से भंते ! कि उड्ढे प्रवड अहे एवइ तिरिए पवडइ ?, गोयमा ! उड्ढेऽवि पवडइ अहेऽवि पवडइ तिरिए ऽवि पवडइ, जहा से बादरे आउयाए अनमानसमाउते चिरपि दीहकालं चिट्ठइ तहा णं सेऽवि ?, नो इणद्वे सभडे, से गं खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ । सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ५७॥श. १३.६॥ | ॥ श्रीभगवती सूत्र॥
पू.सागरजी म. संशोधित
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