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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लोभोवउत्ता?, गोयमा ! सवेऽविताव होजा कोहोवउत्ता अहवा कोहोवउत्ता यमाणोवउत्ते य अहवा कोहोवउत्ता यमाणोवउत्ताय (प्र० एवं मायावि लोभोऽवि कोहेण भाणियन्वो) अहवा कोहोवउत्ता यमायोवउत्ते य अहवा कोहोवउत्तायभायोवउत्ताय, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ते य अहवा कोहोवउत्ताय लोभोवउत्ताय, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य भायोवउत्ते य (प्र० पच्छ। माणेण लोभेण पच्छ। मायाए लोभेण य) कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ता य कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य भायोवउत्ते य) कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता य मायावत्ता य, एवं कोहमाणलोभेणवि च एवं कोहमायालोभेणविच३ एवं १२, पच्छ। भाणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयव्वो, ते कोहं अभुंचता ८, एवं सनावीसं भंगा णेयव्वा, इभीसे गं भंते ! रयणप्यभाए पुढवीए तीसाए. निरयावाससयसहस्सेसु एगभेगसि निरयावासंति समयाहियार जाद्वित्तीए वट्टमामा रझ्या किं कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवत्ता ?, गोयमा ! कोहोवउत्ते य माणोवउत्ते व मायावउत्ते य लोभोवउत्ते य, कोहोवउत्ता य माणोवउत्ता यमायोवउत्ता य लोभोवउत्ता य, अहवा कोहोवउत्ते य भागोवउत्ते य, अहवा कोहोवउत्ते य माणोवत्ता य एवं असीती भंगा नेयव्वा, एवं जाव संखिजसमयाहिया ठिई असंखेजसभ्याहियाए ठिईए तप्पाउनुकोसियार ठिईए सत्तावीसं भंग भाणियव्व।। ४५ ।इभीसे गं भंते !|| रयणप्यभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगभेगसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया ओगाहणााणा पं० ? गोयमा ! असंखेजा ओगाहणारा पं०० -- जहनिया ओगाहा पदेसाहिया जहनिया ओगाहणा दुप्पएसाहिया जहनिया ओगाहणा जाव [ પ મીમની સૂર્ણ છે पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
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