________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kalassagarsuri Gyanmandir
केबलाहिं पवयणमाईहि सिम्झिसु बुझिसु जाव सव्वदुक्खाणमंत करिसु?, गोयमा! नो इणद्वे सभडे, सेकेणद्वेणं भंते! एवं वुच्चइ || चेव जाव अंतं करेंस ?, गोयमा ! जे केइ अंतकरावा अंतिमसरोरिया वा सव्वदुक्खाणभंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वासयते। उम्पन्न नाणदंसणधरा अहा जिणे केवलो वित्ता तओ पच्छ। सिझंति बुझंति मुच्चंति परिनिव्वाति सव्वदुक्खागत करेंसु वा करेंति वा करिस्संनि वा, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव सब्बदुक्खाणमंतं करेंसु०, पडुप्यन्त्रेऽवि एवं चेव, नवरं सिझंति० भाणियव्यं, अगागएविएवं चेव, नवरं सिज्झिस्संतिक भाणियन्वं० जहा छ उमत्थो तहा आहोहिओऽविता परमाहोहिओ ( परमोहिओ पा० )ऽवि तित्रि तिनि आलवगा भाणियव्या, केवली गं भंते ! मासे तीतभणतं सासयं समयं जाव अंतं करेंसु?, हंता सिन्झिसु जाव अंतं करेंसु, |एते तिनि आलावा भाणियव्या छउमथस्स जहा नव सिन्झिसु सिझंति सिज्झस्संति, से गूणं भंते ! तीतभणतं सासयं समयं पडुप्यन्नं| वा सासयं समयं अाग्यमणंतं वा सासयं समयं जे केई अंतकर वा अंतिभसरीरिया वा सव्वदुक्खाणभंतं करेंसु वा करेति वा करिस्संति वा सब्चे ते उप्पननाणदंसणधरा अहा जिणे केवली भवित्ता तओ पच्छा सिझंति जाव अंतं करेस्संति वा ?, हंता गोयमा!, तीतमणतं सासयं समयं जाव अंतं करेस्संति वा, से नूणं भंते ! उम्पन्न नाणदंसणधरे अहा जिणे केवली अलमथुत्ति वत्तव्वं सिया?, हिंता गोयमा! उपननाणदंसणधरे अहा जिणे केवली अलमत्थत्ति वत्तव्यं सिया सेवं भंते ! सेवं भंते! ति।४३१२.१३. ४॥
कति णं भंते ! पुढवीओ पन्नताओ?, गोयमा ! सत्त पुढवीओ पं०० - रयणप्यभा जाव तमतमा, इभीसे गंभंते ! श्यणम्यभाए ॥ श्रीभगवती ।
| पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only