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अट्ठारसवंजणाकुलं ओसहसंमिस्सं भोयणं भुजेजा तस्सणं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणभमाणे २ सुरुवत्ताए। सुवन्नत्ताए जाव सुहत्तए नो दुक्खनाए भुज्नो २ परिणमति, एवामेव कालोदाई! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे कोहविवेने जाव भिच्छादसणसलविवेगे तस्स णं आवाएनो भद्दए भवइ, तओ पच्छ। परिणममाणे २ सुरुवत्ताए जाव नो दुक्खताए भुज्नो २ परिणमइ, एवं खलु कालोदाई! जीवाणं कल्लाणा कमा जाव कज्जति ॥ ३०५॥ दो भंते! पुरिसा सरिसया जाव सरिसभंडमत्तोवगरणा अनपणं सद्धिं अगणिकायं समारंभंति तत्व णं एगे पुरिसे अगणिकायं उज्जालेति एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति, एएसिंणं भंते! दोण्हं पुरिमाणं क्यरे २ पुरिसे महाकम्मतराए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महावेयणतराए चेव? कयरे वा पुरिसे अप्पम्मतराए चेव जाव अपवेयणतराए चेव?, जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ जे वा से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति?, कालोदाई! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्नालेइ से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव, तत्थ णं से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव जाव अपवेयणतराए चेव, से केण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ तत्थं गं जे से पुरिसे जाव अपवेयणतराए चेव?, कालोदाई! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ से णं पुरिसे बहुतरागं पुढवीकार्य समारंभति बहुतरागं आउकायं समारंभति अपतरायं तेॐकायं समारंभति बहुतरागं वाअकायं समारंभति बहुतरायं वणस्सइकायं समारंभति बहुतागं तसकायं समारंभति, तत्थ्णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेति से णं पुरिसे अपतरायं पुढविकायं समारंभइ ॥श्रीभगवती सूत्र ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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