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समुद्दे, तमुकाए गंभंते! किं पुढवीपरिणामे आउपरिणामे जीवपरिणामे पोग्गलपरिणामे?, गोयमा! नो पुढवीपरिणाम आउपरिणामेऽवि जीवपरिणामेऽविपोग्गलपरिणामेऽवि, तमुकाए णभंते! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जावतसकाइयत्ताए उववत्रपुवा?, हता गोयमा! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो को चेव णं बादरपुढवीकाइयत्ताए बादरअगणिकाइयत्ताए वा ॥ २४०॥ कति णं भंते! कण्हराईओ पं०? गोयमा! अट्ठ कण्हराईओ पं०, कहि णं भंते! एयाओ अट्ठ कण्हराईओ ५०?, गोयमा! उणि सणंकुमारमाहिंदाणं कप्पाणं हिटुं बंभलोए कप्पे रितु विभाणे पत्थडे, एत्थणं अक्खाडगसमचरंससंगणसंठियाओ अट्ठ कण्हरातीओपं००-पुरच्छिमेणं दो पच्चत्थिमेणं दो दाहिणेणं दो उत्तरेणं दो, पुरच्छिम्ब्भंत। कण्हराई दाहिणं बाहिरं कण्हरातिं पुट्ठा दाहिणभंत। कण्हराती पच्चस्थिमबाहिरं कण्हराई पहा पच्चत्थिभब्भतरा कण्हराई उत्तवाहिरं कण्हरातिं पुछा उत्तरमब्अंतरा कण्हराती पुरच्छिमबाहिरं कण्हरातिं पुढा, दो पुरच्छिमपच्चत्थिमाओ बाहिराओ कण्हरातीओ छलसाओ दो उत्तरदाहिणबाहिराओ कण्हरातीओ तंसाओ दो पुरच्छिमपच्चत्थिमाओ अब्तिराओ कण्हरातीओ चउरंसाओ दो उत्तरदाहिणाओ अब्अिंतराओ कण्हरातीओ चउरंसाओ पुत्वावर छलंसा तसा पुण दाहिणुत्ता बझा। अब्भंतर चउरंसा सव्वाविय कण्हरातीओ॥४३॥ कण्हराईओ णं भंते! केवतियं आयामेणं केवतियं विक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गोयमा! असंखेजाई जोयणसहस्साई आयामेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पं०., कण्हरातीओ णं भंते! केमहालियाओ पं०?, गोयमा! अयण्णं जंबुद्दीवे २ ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
[५. सागरजी म. संशोधित
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