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|सभटे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जावं चणं से जीवे सया समितं जाव अंते अंतकिरिया न भवति? मंडियपुत्ता ! जावं चणं से जीवे |
सया समितं जाव परिणमति नावं च णं से जीवे आरंभइ सारंभइ समारंभइ आरंभे वट्टइ सारंभे वट्ट३ समारंभे वट्टइ आरंभमाणे સારંભમાણે સમારંભમાણે પ્રારંભે વટ્ટમાણે સામે વટ્ટમાણે સમારંભે વટ્ટમાણે વર્ણ પાણાનું મૂયાનું ગીવાનું સત્તારંવવાવાયા
या जरावणयाए तिप्पावणयाए पिट्टावणयाए परियावयाए वदृ३, से तेणद्वेणं मंडियत्ता! एवं वुच्चइ जावं चणं से जीवे - समिय एयति जाव परिणमति तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवइ, जीवे णं भंते! सया समियं णो एयइ जाव नो
पारणमइ?,हंता मंडियषुत्ता! जीवे णंस्थासभियं जाव नोपरिणमति, जावंचणं भंते! से जीवे नो एयति जाव नो तंतं भावं ति तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ?, हंता जाव भवति,सेकेणद्वेणं भंते! जाव भवति?, मंडियपुत्ता! जावंच से जीवेसया सभियंणो एयति जावणो परिणमइ तावंचणंसे जीवे नोआरंभइ नो सारंभइ नो समारंभइनो आरंभे वणो सारं १३ को समारंभे वट्ट३ अणारंभमाणे असारंभमाणे असमारंभमाणे आरंभे अवट्टमाणे सारंभे अवट्टमाणे समारंभे अवट्टमाणे बहूणं पाणा० अदक्खावणयाए जाव अपरियावयाए वट्ट, से जहानामए के पुरिसे सुकं तणहत्थ्यं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं भंडियपुत्ता से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खियामेव मसमसाविजइ?, हंता मसभसाविज्जइ, से जहानामए केइ पुरिसे तनसि अयकवल्लंसि उदयबिंदू पक्विवेजा, से नूणं मंडिययुत्ता! से उदयबिंदू तत्तंसि अयकवालंसि पक्खित्ते समाणे खिय्यामेव ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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