SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | देवरन्नो अंतिथं पाउब्भवित्तए?, हंता पभू, से णं भंते! किं आढायमाणे ५भू अणादायमाणे पभू?, गोयमा! आढायमाणे पभू नो|| अणादायमाणे पभू, पभू णं भंते! ईसाणे देविंदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरत्रो अंतियं पाउभवित्तए?, हंता पभू, से णं भंते ! किं आदायमाणे पभूअणादायमाणे पभू?, गोयमा! आढायमाणेऽवि पभू अणादायमाणेऽवि पभू, पभू णं भंते! सके देविंदे देवराया ईसाणं देविंदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसिं समभिलोएत्तए? जहा पादुब्भवणा तहा दोऽवि आलावा नेयव्वा, पभूणं भंते! सक्के देविंदे देवराया ईसाणेणं देविंदेणं देवरत्रासद्धि आलावं वासंलावं वावरेत्तए?,हंतापभू जहा पादुब्भवणा, अस्थिणं भंते! तेसिसकीसाणाणं देविंदाणं देवराई किच्चाई कणिजाई समुप्पजति?, हंता अस्थि, से कहमिदाणि पकरेंति?, गोयमा! ताहे चेव से सके देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरत्रो अंतियं पाउन्भवति, ईसाणे णं देविंद देवराया सक्षस्स देविंदस्स देवरायस्स अंतियं पाउब्भवइ, इति भो! सका देविंदा देवराया दाहिणड्ढलोगाहिवई!, इति भो! ईसाणा देविंदादेवराया उत्तरड्ढलोगाहिवई, इति भो! इति भो! ति ते अनमत्रस्स किच्चाई करणिजाई पच्चणुब्श्वभाणा विहरति । १३८। अस्थि णं भंते! तेसिं सकीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं विवादासमुष्पजति?, हंता अस्थि, से कहमिदाणिं पकरेंनि?, गोयमा! ताहे चेवणं ते सक्कीसाणा देविंदा देवरायाणो सणंकुमारं देविंद देवायं मणसीकरेंति, तए णं से सणंकुमारे देविंदेदेवराया तेहिं सक्कीसाणेहिं देविंदेहिं देवराईहिं मणसीकए समाणे खियामेव सकीसाणाणं देविंदाणं देवराईणं अंतियं पाउब्भवति, जं से वदइ तस्स आणाववायवयणनिहेसे चिट्ठति । १३९। सणंकुमारे णं भंते! देविंदे ॥ श्रीभगवती सूत्रं॥ | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only
SR No.021005
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages300
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy