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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | बहुविहकामभोगुब्भवाण सोक्खाण सुहविवागोत्तमेसु, अणुवयपरंपराणुबद्धा असुभाणं सुभाणं चेव कम्माणं भासिआ बहुविहा|| विवागा विवागसुम्मि भगवया जिणवरेण संवेगकारणत्या अनेऽविय एवमाइया बहुविहा वित्थरेणं अत्थपरूवणया आघविजंति०, विवागसुअस्सणं परित्ता वायणासंखेजा अणुओगदारा जावसंखेजाओसंगहणीओ,सेणं अंगठ्ठयाए एक्कारसमे अंगे वीसं अज्झ्यणा वीसं उद्देसणकाला वीसं समुद्देसणकाला, संखेजाई पयसयसहस्साई पयग्गेणं पं०, संखेजाणि अक्खराणि अणंता गमा अणंता पजवा जाव एवं चरणकरणपरूवणया आधविनंति०,सेत्तं विवागसुए।१४६ से किं तं दिट्ठिवाए ?, दिद्विवाए णंसव्वभावपरूवणया आधविनंति, से समासओ पंचविहे पं०० - परिकम्मं सुत्ताई पुव्वगयं अणुओगो चूलिया, से किं तं परिकम्भे ?, परिकम्मे सत्तविहे पं०० -सिद्ध सेणियापरिकम्मे मणुस्ससेणियापरिकम्मे पुट्ठसेणियापरिकम्मे ओगाहणसेणियापरिकम्मे उवसंपजसेणियापरिकम्मे विष्यजहसेणियापरिकम्मे चुआचुअसेणियापरिकम्मे, से किं तं सिद्धसेणियापरिकम् ? सिद्धसेणिआपरिकम्मे चोदसविहे पं००माउयापयाणि एगट्ठियपयाणि पादोप्याणि आगासपयाणि के उभूयं रासिबद्धं एगगुणं दुगुणं तिगुणं के भूयं पडिग्गहो संसारपडिग्गहो नंदावत्तं सिद्धबद्धं, सेत्तं सिद्धसेणियापरिकम्भे, से किं तं मणुस्ससेणियापरिकम्भे ?, मणुस्ससेणियापरिकम्मे चोद्दसविहे पं०० -ताई चेवमाउआपयाणि जाव नंदावत्तं मणुस्सबद्धं,सेत्तं मणुस्ससेणियापरिकम्मे, अवसेसाइंपरिकम्माई पुट्ठाइयाई एक्कारसविहाई पनत्ताई, इच्चेयाई सत्तं परिकम्माई ससमइयाई सत्त आजीवियाई छ चउकणइयाई सत्त तेरासियाई, एवामेव सपुव्वावरेणं सत्त परिकम्माई | ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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