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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विणयकरणजिणसामिसासण( ५०पा० )वरे संजमपईण्ण( पालण पा० )धिइभइववसायदुब्बलाणं तवनियमतवोवहाणरणदुद्धर || भरभग्गयणिस्सहयणिसिद्वाणं घोरपरीसहपराजियाणं सहपारद्धरुद्धसिद्धालयमग्गनिग्गयाणं विसयसुह ( महेच्छा पा० )तुच्छ आसावसदोस मुच्छियाणं विराहियचरित्तनाणदंस णजइगुणविविहप्पयारनिस्सारसुन्नयाणं संसारअपारदुक्खदुग्गइभवविविहपरापवंचा धीराण य जियपरिसहकसायसेण्णधिइधणियसं जमउच्छाहनिच्छियाणं आराहियनाणदंसणचरित्तजोगनिस्सलसुद्धसिद्धालयभागमभिमुहाणं सुरभवणविमाणसुक्खाई अणोवमाई भुत्तूण चिरं च भोगभोगाणि ताणि दिव्वाणि महरिहाणि ततो य कालक्कमचुयाणं जह य पुणो लद्धसिद्धिमग्गाणं अंतकिरिया चलियाण य सदेवमाणुस्सधीरकरणकारणाणि बोधणअणुसासणाणि गुणदोसदरिसणाणि दिढते पच्च्ये य सोऊण लोगमुणिणो जहडियसासणमि जस्मरणनासणकरे आराहिअसंजमा य सुरलोगपडिनियत्ता ओवेन्ति जह सासयं सिवं सव्वदुक्खमोक्खं, एए अण्णेय एवमाई अस्था वित्थरेण य, णायाधम्मकहासुणं परित्ता वायणा संखेज्जा अणुओगदारा जाव संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगठ्ठयाए छठे अंगे दो सुअक्खंधा एगूणवीसं अझयणा, ते समासओ दुविहा पं०० -चरिता य कप्पिया य, दस धमकहाणं वगा, तत्थ णं एगमेगाए धमकहाए पंच पंच अक्खाइयासयाई एगभगाए अक्खाइयाए पंच पंच उवक्खाइयासयाई एगमेगाए उवक्खाइयाए पंच पंच अक्खाइयउवक्खाइयासयाई एवमेव सपुत्वावरेणं अधुढाओ अक्खाइयाकोडीओ भवंतीतिमक्खायाओ, एगूणतीसं उद्देसणकाला एगूणतीसं समुद्देसणकाला संखेजाई पयसहस्साई पयग्गेणं पं०, संखेजा अक्खरा ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र । | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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