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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. scbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्तासीई उत्तरपगडीओ पं०, महाहिमवंतकूडस्सणं उवरिमंताओ चरिमंताओ सोगन्धियस्स कंडस्स हेढिल्ले चमते एसणं सत्तासीई|| जोयणसयाइं अबाहाए अंतरे पं०, एवं रुप्पिकूडस्सवि।८७ एगमेगस्स णं चंदिमसूरियस्स अट्ठासीई अट्ठासीई महग्गहा परिवारो पं०, दिट्ठिवायरस णं अट्ठासीई सुत्ताई पं०२० - उज्जुसुयं परिणयापरिणयं एवं अट्ठासीई सुत्ताणि भाणियव्वाणि जहा नंदीए, मंदरस्स णं पव्वयस्स पुरच्छिमिलाओ चरमंताओ गोथूभस्स आवासपव्वयस्स पुरच्छिमिल्ले चरमंते एसणं अट्ठासीइं जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे पं० एवं चउसुवि दिसासु नेयव्वं, बाहिराओ उत्तराओ णं कठ्ठाओ सूरिए पढ छम्मासं अयमाणे चोयालीसइमे मंडलगते अट्ठासीती/ इगसट्ठिभागे मुहुत्तस्स दिवसखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिनिवुड्ढेत्ता सूरिए चार चरइ, दक्षिणकट्ठाओ सूरिए दोच्च छम्मासं अयमाणे चोयालीसतिमे मंडलगते अट्ठासीई इगसद्विभागे मुहत्तस्स रयणिखेत्तस्स निवुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिनिवुड्ढित्ताणं सूरिए चारं चरइ। ८८ । उसमे णं अहा कोसलिए इमीसे ओसप्पिणीए ततीयाए सुसमदूसमाए समाए पच्छिमे भागे एगूणणउईए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, समणे भगवं महावीरे इभीसे ओसप्पिणीए चस्थाए दूसमसुसमाए समाए पच्छिमे भागे एगणनउईए अद्धमासेहिं सेसेहिं कालगए जाव सव्वदुक्खप्पहीणे, हरिसेणे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी एगणनउई वाससयाई महाराया होत्था, संतिस्स णं अहओ एगूणनई अज्जासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्था १८९ । सीयले णं अरहा नई धणूइंउड्ढेउच्चत्तेणं होत्था, अजियस्सणं अहओ नई गणा नउई गणहरा होत्था, एवं संतिस्सवि, सयंभुस्सणं वासुदेवस्सणउइवासाई | ॥ श्रीसमकायाङ्ग सूत्र ॥ | पू. सावरजी म. संशोषित | For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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