SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मंदरे णं पव्वए धरणितलाओ सिहरतले एक्कारसभागपरिहीणे उच्चत्तेणं पं०, इभीसे णं रयणप्यभाए पुढवीए अत्गइयाणं नेरइयाणं एक्कारस पलिओवमाई ठिई ५०, पंचभीए पुढवीए अत्थेगइयाण नेइयाणं एक्कारस सागरोवमाई ठिई पं०, असुरकुमारणं देवाणं अत्थेगइयाणं एक्कारस पलिओवभाई ठिई ५०, सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एकारस पलिओवमाइं ठिई पं०, लंतए कप्पे अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कारस सागरोवमाइं ठिई ५०,जे देवा बंभं सुबंभं बंभावत्तं बंभयभं बंभकंतंबंभवण्णं बंभलेसंबंभज्झ्यं बंभसिंगं बंभसिटुं बंभकूडं बंभुत्तरवडिंसगं विमाणं देवत्ताए उव्वा तेसिंण देवाणं एक्कारस सागरोवभाई ठिई पं०-ते णं देवा एक्कारसण्हं अद्धभासाणं आमंति वा ४ तेसिंणं देवाणं एक्कारसण्हं वाससहस्साणं आहारट्टे समुप्पजइ, संतेगइआ भवसिद्धिा जीवा जे एक्कारसहिं भवागहणेहिं सिन्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्सति । ११ । बारस भिक्खुपडिमाओ पं०, तंजहा०मासिआ भिक्खुपडिमा दोमासिआ भिक्खुपडिमा तिमासिआ भिक्खुपडिमा चउमासिआ भिक्खुपडिमा पंचमासिआ भिक्खुपडिमा छमासिआ भिक्खुपडिमा सत्तमासिआ भिक्खुपडिमा पढमा सत्ताइंदिआ भिक्खुपडिमा दोच्चा सत्ताइंदिआ भिक्खुपडिमा तच्चा सत्तराइंदिआ भिक्खुपडिमा अहोराइआ भिक्खुपडिमा एगराइया भिक्खुपडिमा, दुवालसविहे सम्भोगे पं०० -उवही सुअ भत्त पाणे, अंजलीपगहेति य । दायणे य निकाए अ, अब्भुट्ठाणेति आवरे ॥ ५ ॥ किइकम्मस्स य करणे, वेयावच्चकरणे इअ । समोसरणं| संनिसिजाय, कहाए अपबन्धणे ॥६॥दुवालसावत्ते कितिकम्मे पं०० -दुओणयं जहाजायं, कितिकम्म बारसावयं । चस्सिरं ॥श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ ५. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy