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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || मायरो भविस्संति चउव्वीसं पढमसीसा भविस्सति चउव्वीसं पढमसिस्सिणीओ भविस्संति चउव्वीसं पढमभिक्खादायगा भविस्संति|| चउव्वीसं चेइयरुक्खा भविस्संति, जंबुद्दीवेणं दीवे भारहे वासे आगभिस्साए उस्सप्पिणीए बारस चक्कवट्टिणो भविस्संति, तं० - भरहे य दीहदंते गूढदंते य सुद्धदंते य । सिरिउत्ते सिरिभूई, सिरिसोमे य सत्तमे ॥ १५६ ॥ पउभे य महापउमे विमलवाहणे (ले तह) विपुलवाहणे चेव । वरिढे बारसमे वुत्ते, आगमिसा भरहाहिवा ॥ १५७ ॥ एएसिं णं बारसण्हं चक्कवट्टीणं बारस पियरो भविस्संति बारस मायरो भविस्संति बारस इत्थीरयणा भविस्संति, जंबुद्दीवेणं दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए नव बलदेववासुदेवपियो भविस्संति नव वासुदेवमायरो भविस्संति नव बलदेवमायरो भविस्संति, नव दसारमंडला भविस्संति, तं० - उत्तमपुरिसा मझिमपुरिसा पहाणपुरिसा ओयंसी तेयंसी एवं सो चेव वण्णओ भाणियव्वो जाव नीलगपीतगवसणा दुवे दुवे रामकेसवा भायरो भविस्संति, तं० - नंदे य नंदमित्ते दीहबाहू तहा महाबाहू । अइबले महाबले बलभद्दे य सत्तमे ॥१५८ ॥ दुविठू यतिविठू य आगमिस्साण वण्हिणो। जयंते विजए भद्दे सुप्पभे य सुदंसणे । आणंदे नंदणे पउमे, संकरिसणे य अपच्छिम् ॥ १५९ ॥ एएसिंणं नवण्हं बलदेववासुदेवाणं पुवाविया णव नामधेजा भविस्संति नव धम्मायरिया भविस्संति नव नियाणभूमीओ भविस्संति नव नियाणकारणा भविस्संति नव पडिसत्तू भविस्संति तं० - तिलए य लोहजंधे वइरजंधे य केसरी पहराए । अपराइए य भीमे, महाभीमे य सुग्गीवे ॥१६० ॥ एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं सब्वेवि चक्कजोही हम्मिहिंति सचक्केहिं ॥१६१॥जंबुद्दीवे एरवर वासे आगमिस्साए उस्सपिणीए ॥ श्रीसमवायाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only
SR No.021004
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages113
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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