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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वासहरपव्वए दो कूडा बहुसम० जावतं०-रुप्पिकूडे चेव मणिकंचणकूडे चेव, एवं सिहरिमिवासहरपव्वते दो कूडा बहुसम० जाव|| तं०-सिहरिकूडे चेव तिगिछिकूडे चेवा८७ जंबूमंदर० उत्तरदाहिणेणंचुल्लहिमवंतसिहरीसुवासहरपव्व्येसुदो महदहा बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अण्णमण्णं णातिवति आयामविक्खंभउव्वेहसंठाणपरिणाहेणं, तं०- पउमदहे चेव पुंडरीयदहे चेव, तत्थ णं दो देव्याओ महड्ढियाओ जाव पलिओवभद्वितीयाओ परिवसंति, तं०--सिरी चेव लच्छी चेव, एवं महाहिमवंतरुप्पीसुवासहरपव्वएसु दोमहद्दहा बहुसम० जाव तं०- महापउमहहे चेव महापोंडरीयहहे चेव, देवताओ हिरिच्चेव बुद्धिच्चेव, एवं निसढनीलवंतेसु तिगिंछिद्दहे चेव केसरिहहे चेव, देवताओ धिती चेव कित्तिच्चेव, जंबूमंदर० दाहिणेणं महाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ महापउमद्दहाओ दो| महाणईओपवहंति, तं०-रोहियच्चेव हरिकंतच्चेव, एवं निसढाओवासहरपव्वताओ तिगिंछिद्दहाओदोमतं०-हरिच्चेवसीओअच्चेव, जंबूमंदर० उत्तरेणं नीलवंताओ वासहरपव्वताओ केसरिदहाओ दो महानईओ पवहंति, तं० -सीता चेव नारीकंता चेव, एवं रुप्पीओ वासहरपव्वताओ महापोंडरीयबहाओ दो महानईओ पवहंति, तं०-णरकता चेव रुप्पकूला चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं भरहे वासे दो पवायहह। बहुसम० तं०-गंगप्पवातहहे चेव सिंधुप्पवायहहे चेव, एवं हिमवए वासे दो पवायदहा बहु० तं०-रोहियप्पवातहहे चेव रोहियंसप्पवातहहे चेव, जंबूमंदरदाहिणेणं हरिवासे दो पवायदहा बहुसम०२०-हरिपवातहहे चेव हरिकंतपवातहहे चेव, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहवासे दो पवायद्दहा बहुसम० जाव सीअप्पवातहहे चेव सीतोदष्यवायदहे चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं । ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्र ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal
SR No.021003
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages221
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size14 MB
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