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________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वालुयराती उदगराती, एवामेव चउव्विहे कोहे पं०त० पव्वयरातिसमाणे पुढवीरातिसमाणे वालुयरातिसमाणे उदगरातिसमाणे, पव्वयरातिसमाणं कोहं अणुपविट्ठे जीवे कालं करेइ णेरइतेसु उववज्जति, पुढवीरातिसमाणं कोहमणुष्पविट्ठे. तिरिक्खजोणितेसु उववज्जति, वालुयरातिसमाणं कोहं अणुपविट्ठे समाणे. मणुस्सेसु उववज्जति, उदगरातिसमाणं कोहमणुपविट्ठे समाणे० देवेसु उववज्जति १ । चत्तारि उदगा पं०तं० - कद्दमोदए खंजणोदए वालुओदए सेलोदए, एवामेव चउव्विहे भावे पं० नं० - कद्दमोदगसमाणे खंजणोदगसमाणे वालुओदगसमाणे सेलोदगसमाणे, कद्दमोदगसमाणं भावमणुपविट्ठे जीवे कालं करेइ णेरइएस उववज्जति, एवं जाव सेलोदगसमाणं भावमणुपविट्ठे जीवे कालं करेइ देवेसु उववज्जइ । ३११ । चत्तारि पक्खी पं०तं० - रुयसंपन्ने नाममेगे णो रुवसंपन्ने रूवसंपन्ने नाममेगे नो रूतसंपन्ने एगे रूवसंपन्नेऽवि रुतसंपन्नेवि नो रूतसंपत्रे णो रूवसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० - रूयसंपन्ने नाममेगे णो रुवसंपन्ने० ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० पत्तियं करे मीतेगे पत्तियं करेइ पत्तियं करेमीतेगे अपत्तितं करेति अप्पत्तियं करेमीतेगे पत्तितं करेइ अम्पत्तियं करेमीतेगे अप्पत्तितं करेति, चत्तारि पुरिसजाया पं०तं० - अप्पणो णाममेगे पत्तितं | करेति णो परस्स परस्स नाममेगे पत्तियं करेति णो अप्पणो० ४. चत्तारि पुरिसजाया पं०नं० - पत्तियं पवेसामीतेंगे पत्तितं पवेसेइ पत्तियं पवेसामीतेगे अध्पत्तितं पवेसेति० ४, चत्तारि पुरिसजाता पं०तं० - अप्पणो नाममेगे पत्तितं पवेसेइ णो परस्स परस्स० ४ । ३१२ । चत्तारि रुक्खा पं०त० - पत्तोवए पुण्फोवए फलोवर छायोवए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० नं० - पत्तोवारुक्खसमाणे पुप्फोवारुक्खसमाणे ॥ श्रीस्थानाङ्ग सूत्रं ॥ ९० पू. सागरजी म. संशोधित Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra - www.kobatirth.org For Private And Personal
SR No.021003
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages221
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size14 MB
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