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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||७०॥ सयणेहिं तत्थुवसम्गा भीमा आसी अणेगरुवा योसंसप्यगाय जे पाणा अदुवा जे पक्खिणो उवचरन्ति ॥७१॥ अदु कुचरा उवचरन्ति गामरक्खा यसत्तिहत्था य । अदु गामिया उवसग्गा इत्थी एगइया पुरिसा य ॥७२॥ इहलोइयाई परलोइयाई भीमाई अणेगरुवाई। अविसुभिदुब्भिगन्धाई सहाई अणेगरुवाई ॥७३॥ अहियासए सया समिए फासाई विरूवरूवाई।अरईई अभिभय रीयइ माहणे अबहुवाई ॥७४॥ स जणेहिं तत्थ पुच्छिंसु एगचरावि एगया राओ । अव्वाहिए कसाइत्या पेहमाणे समाहिं आडिने | ॥७५॥ अयमंतरंसि को इत्य् ? अहमंसित्ति भिक्खुआटु । अयमुत्तमे से धमे तुसिणीए कसाइए झाइ ॥७६॥ जंसिऽध्येगे पवेयन्ति सिसिरे मारुए पवायन्ते । तंसिऽप्पेगे अणगारा हिमवाए निवायमेसन्ति ॥७७॥संघाडीओ पवेसिस्सामो एहा य समादहमाणा पिहिया वसक्खामो अइदुक्खे हिमगसंफासा ॥७८॥ तंसि भगवं अपडिन्ने अहे विगडे अहियासए दविए निखम्म एगया राओ ठाइए भगवं समियाए ॥७९॥एस विही अणुकन्तो माहणेण मईमया बहुसो अपडिण्णेण भगवया एवं रीयन्ति ॥८०॥ तिबेमि ॥अ०९३० २॥ तशफासे सीयफासे यतेउफासे यदंसमसगेय अहियासए सया समिए फासाई विरुवरूवाई ॥८१॥अह दुच्चरलाढमचारी वजभूमिं च सुब्मभूमिं च । पंत सिज सेविंसु आसणगाणि चेव पंताणि ॥८२॥ लादेहिं तस्सुवसग्गा बहवे जाणवया लूसिंसु । अहलूहदेसिए भत्ते कुक्कुरा तत्त्था हिंसिंसु निवइंसु ॥८३॥ अप्पे जणे निवारेइ लूसणए सुणए दसमाणे । छुच्छुकारिति आहेसु समणे|| कुक्कुरा दसंतुति ८४॥ एलिक्खए जणा (३० जणे) भुज्जो बहवे वजभूमि फरुसासी लट्ठि गहाय नालियं समणा तत्थ य विहरिसु ॥ ॥श्रीआचाराङ्ग सूत्र पू. सागरजी म. संशोथित For Private And Personal Use Only
SR No.021002
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandrasagar
PublisherJainanand Pustakalay
Publication Year2005
Total Pages147
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sutrakritang
File Size12 MB
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