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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ ४६ ॥ ॥ ४७ ॥ अवरत्तय- अजराउर - अरविंदरं अणुसअ - उण्ह - दीहम्मि । अणरामयं अरई, अड्ढअक्कली तह य कडिहत्थे सीहुम्मि अवक्करसो, अवयढियं आजिहरियम्मि । अवयासिणी य णासारज्जू, अलमंजुलो अलसे अवडाहियं उक्कुट्टे, पवायणिहए अवडक्किओ तह य । रोगम्मि अंगवड्ढणं, अयतंचियं उवचिए चेय अणुवहुया अइरजुवई, अणहप्पणयं अणट्टम्मि अजुयलवण्णा अम्बिलिया, अल्लट्टपलट्टं अंगपरिवत्ते अणुगमणे अम्मणुयंचियं अहिपच्चुइयं च णायव्वं । अइसय-दुएसु अच्छं, तअ - आदरणिज्ज- च्छड्डिएसु अअं ॥ ४९ ॥ असइ - सुहा-णववहुया - तरुणीसु इमाइ तह अज्झा । किस - गुरु- सुग- सुह- धट्ठ- अलसेसु सद्दे असच्चए अहं ॥ ५० ॥ अण्णी अ देयराणी - पइबहिणि पिउच्छियासुं च । माइ-पिउच्छा - सासू-सहीसु अत्ता, णिहे मुहे अणिहं चीरि-मसएसु अरलं, अलसं सित्थय कुसुम्भरत्तेसुं । पसु - कढिणेसु अविलो, अणुओ आयार - घण्णभेएसु घर - उत्त- पच्छिमंगण - णिठुर-विरसेसु अचलं च । अवडो कूव- आरामेसु अग्गिओ इंदगोव-मंदेसु अत्थग्वं अत्थाहं अगाह - आयाम - ठाणेसु । सुरस - गुरेडेसुं अज्जओ, जलद्द - अंगदेसु अल्लत्थं अवणो वह-घरफलहेसु, अण्णओ तरुण - धुत्त - दियरेसु । अंतेल्ली मज्झ - उअर - लहरीसु, असंगिओ हय-चलेसु ॥ ५४ ॥ ॥ ५५ ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५४ For Private And Personal Use Only 1184 11 ॥ ४८ ॥ ॥ ५१ ॥ ॥ ५२ ॥ गय- भावि-वासरेसुं दिवसारंभे य अवरज्जो । कडि-कढिणेसु अवज्झसं, अलिअल्ली मियमए य वग्घे य ॥ ५६ ॥ ॥ ५३ ॥
SR No.020965
Book TitleShastra Sandeshmala Part 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages438
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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