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ध्रुवका क्षिपका कनीनिका शम्बूका शिबिका गवेधुका। कणिका केका विपादिका मिहिका यूका मक्षिकाऽष्टका ॥२८॥ कूर्चिका कूचिका टीका कोशिका केणिकोर्मिका। जलौका प्राचिका धूका कालिका दीर्घिकोष्ट्रिका ॥२९॥ शलाका वालुकेषीका विहङ्गिकेषिके उखा। परिखा विशिखा शाखा शिखा भङ्गा सुरुङ्गया ॥ ३०॥ जङ्घा चञ्चा कच्छा पिच्छा पिज्जा गुञ्जा खजा प्रजा। झञ्झा घण्टा जटा घोण्टय पोटा भिस्सटया छटा ॥ ३१॥ विष्ठा मञ्जिष्ठया काष्ठा पाठा शुण्डा गुडा जडा। बेडा वितण्डया दाढा राढा रीढावलीढया।
॥ ३२॥ घृणोर्णा वर्वणा स्थूणा दक्षिणा लिखिता लता। तृणता त्रिवृता त्रेता गीता सीता सिता चिता
॥३३॥ मुक्ता वार्ता लूताऽनन्ता प्रसृता मार्जिताऽमृता । कन्था मर्यादा गदेक्षुगन्धा गोधा स्वधा सुधा सास्ना सूना धाना पम्पा झम्पा रम्पा प्रपा शिफा। कम्बा भम्भा सभा हम्भा सीमा पामारुमे उमा
|॥ ३५॥ चित्या पद्या पर्या योग्या छाया माया पेया कक्ष्या । दूष्या नश्या शम्या सन्ध्या रथ्या कुल्या ज्या मङ्गल्या ॥३६ ॥ उपकार्या जलारा प्रतिसीरा परम्परा । कण्डराऽसृग्धरा होरा वागुरा शर्करा सिरा
॥ ३७॥ गुन्द्रा मुद्रा क्षुद्रा भद्रा भस्त्रा छत्रा यात्रा मात्रा । दंष्ट्रा फेला वेला मेला गोला दोला शाला माला ॥ ३८॥ मेखला सिध्मला लीला रसाला सर्वला बला। कुहाला शकुला हेला शिला सुवर्चला कला ॥ ३९ ॥
॥ ३४॥
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