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बंधइ तत्तो अण्णो उवसमसेढियए वि होइ अजहण्णो । तो उवसंते न भवइ तप्पडियस्स उ पुणो साइं ॥५२२॥ उवसंतमपत्ताणं सो य अणाई धुवाधुवा सुगमा। संजलणचउक्कस्स उ खवगो नवमे गुणे कमसो || ५२३॥ बंधते एगेगं समयं जहण्णं रसं नियत्तेइ । तत्तोऽण्णो अजहण्णो सोवसमगुणम्मि बंधंतो ।। ५२४॥ निवडिय पुणो वि बंधंतस्स य साई तहोवसामित्तं ।
अप्पत्ताण अणाई तह चेव हवंति धुवअधुवा ॥ ५२५ ।। निद्दादुगअपसत्थावण्णचऊभयदुगुंछउवघायं । नवपयडीणं खवगोऽपुव्वम्मि गुणे जह कमेण ॥ ५२६ ॥ बंधते एगेगं समयं बंधइ जहण्णअणुभागं । तत्तोण्णो अजहण्णो सोवसमगुणस्स बंधतं
।। ५२७ ॥ काउं पडिय पुणो विहु बंधइ साई तहणुवसामित्तं । बंधं तस्स अणाइ हवंति पुव् व धुवअधुवा ॥ ५२८॥ पच्चक्खाणचउक्के देसजइसंजमाभिमुहचित्तो। सगुणचरिमसमए तम्मिऽणुभागं बंधइ जहण्णं ।। ५२९ ॥ तट्ठाणाओ पुव्वं सव्वो अजहण्णओ तह चउण्हं । अपच्चक्खाण चउगस्स अविरओ सम्मदिट्ठी जो ॥ ५३०॥ जुगवं पवज्जिउमणो खाइयसम्मं तहेव चारित्तं । अच्चंतविसुद्धो सगुणट्ठाणंतम्मि वढ्तो
|| ५३१ ॥ जहण्णणुभागं बंधइ इय पुव्विं होइ सव्वु अजहण्णो। थीणतिगमिच्छचउरोणंताणुबंधी य इय अट्ठ || ५३२ ॥ पयडी उ सव्वसुद्धो मिच्छो जुगवं पि सम्मचरणाइ। पडिवजिउकामो मिच्छवेयअंतम्मि वर्सेतो
।। ५३३॥
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