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॥३७८॥
।। ३८० ॥
नो(तो) समयमाइ किच्चा उक्कोसा आरओ उ अजहण्णो । तह जत्तो नो बंधो गरुओ अत्थी स उक्कोसो जो समयहाणिमाई जा हीणो ताव हो अणुक्कोसो। तत्थ य सण्णादुगेण विगहिया सव्वे ट्ठिइविसेसा ॥ ३७९ ॥ मोहाउवज्ज छकम्मगस्स खवगो दसमगुणा अंते । बंधेइ जहण्णठिई मोहस्स उ खवगनवमगुणी अंते उ जहण्णठिई बंधइ एया परो उ अजहण्णो। उवसमसेणीए विहु जहण्णखवगा उ उवसमगो ॥ ३८१ ॥ किर होइ दुगुणबंधो तो उवसंतो अबंधगो होउ।
अजहण्णबंधस्स जया पडिय पुणो सत्तकम्माई ॥ ३८२ ॥ बंधेणं अजहण्णेण बंधई तोऽजहण्ण इइ साई । होईबंधच्छेयाणंतरयं बज्झमाणत्ता
॥ ३८३॥ उवसंतमपत्ताणं बंधच्छेया अभावओऽणाई। अभवजियाण धुवो भवजीवाणं हो अधुवबंधो ।। ३८४॥ जहण्णुक्कोसियरतिगे आऊहीणाण सत्तकम्माण । साईअधुवो बंधो तत्थ य मोहस्स किल खवगो ॥ ३८५ ॥ नवमगुणी चरिमम्मि ठिइबंधे जहण्णबंधओ होइ । सो पुण अबद्धपुव्वो अजहण्णबंधाउ अवयरिउं ॥३८६ ॥ तप्पढमतया तम्मि समयम्मि चेव बज्जई साई। तो हवइ खीणमोहो पुण न भवइ तो अधुवबंधो उक्कोसबंधगो पुण सुसंकिलिट्ठम्मि मिच्छदिट्ठिम्मि। पज्जत्तसण्णिपंचिंदियम्मि लब्भइ अणुक्कस्सा ॥ ३८८ ।। बंधा अवयरिय कयाइ बज्झई तेण सो भवे साई। अंतमुहुत्ता उवरि अणुक्कसं बंधओ अधुवो
॥ ३८७ ॥
॥ ३८९ ॥
पद
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