SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ ३४२ ॥ ॥ ३४३ ॥ ॥ ३४४॥ ॥ ३४५ ॥ ॥ ३४६ ॥ ॥ ३४७॥ होई अबाहकालो जो किर कम्मस्स अणउदयकालो। कम्मठिइअबाहूणा कम्मनिसेगो त्ति कम्माणं दलिगरयणाउ जं किर वेइज्जइ उदयपत्तयं कम्मं । सुरनारयआऊणं तेत्तीसयराणि पुव्वाणं कोडीऍ तिभागेणं अहियाई होइ ठि त्ति उक्कोसा। पुव्वंकोडितिभागो अबाह तह पुव्वकोडीए भागतिगेणं ऊणा कम्मनिसेगो त्ति होइ कम्मठिई । सव्वत्थ एत्थ सागर-कोडाकोडीइ एगाए वरिसाण सयं एग होइ अबाहा तओ उ जेसिं तु । कम्माणं जावइया अयराणं कोडिकोडीओ भणिया तत्तियमेत्ताणि होइ वरिसस्सयाणि उ अबाहा । आबाहकालऊणा कम्मठिई कम्मनिस्सेगो सव्वत्थ वि भणियव्वो तित्थाहारगदुगाण पुण भणिया। अंतो कोडाकोडी अंतमुहुत्तं च आबाहा आबाहूणा कम्मठिईओ होई उ कम्मनिस्सेगो। नणु बद्धस्स उ तित्थ-गरजाइकम्मस्स उदओ उ तइयभवे किर होई अंतमुहुत्तं तु एत्थ उ अबाहा । भणियातोन्तमुहुत्ता अणंतरं तमिम चेव भवे पावइ विवागउदओ उ तित्थकरनामगस्स एत्थाह । नहि आबाहाविगमे आगच्छंतेव कम्माणि उदयं किं पुण कम्पाणि जइ विवागेण उदयमायति । तत्तो उ अबाहाए परिक्खएणेव कम्माणि आगच्छंती उदए अओ अबाहाक्खएण पत्थुयए। इह दोसेणं तह वि विवागउदयजोग्गया हवइ ॥ ३४८ ॥ || ३४९ ॥ पजाउ ॥ ३५० ॥ ॥ ३५१॥ ॥ ३५२॥ ॥ ३५३॥ 43 For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy