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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ १६० ॥ ॥ १६१ ॥ | १६२ ।। || १६३ ॥ ॥ १६४ ॥ ॥ १६५ ॥ तिलओ य लोहजंघो तईओ तह होज्ज वयरजंघो य । केसरि पहराओ खलु अवराइय भीमसेणो य महभीमसेण सुग्गीओ पच्छिमओए होज्ज पडिसत्तू । भावी भरहे वासे अक्खाया जिणवरिंदेहि सुमंगले अत्थसिद्ध य निव्वाणे य महाजसे। धम्मज्झए(य) अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति सिरिचंदे पुप्फकेउ य महाचंदे य केवली। सुयसायरे य अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति सिद्धत्थे पुण(ण्ण)घोसे य महाघोसे य केवली। सव्वसेणे य अरहा अणंतविजएई य सूरसेणे महासेणे देवसेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा देवदत्ते य होक्खत्ति सुपासे सुव्वए अरहा महासुक्के य कोसले । देवाणंदे य अरहा अणंतविजएई य विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले । देवोवाए अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति एए वुत्ता चउवीस एवए वासंति केवली। आगमिस्साण होवखत्ति धम्मतित्थोपदेसगा सीमंधरं तु पढमं १ जुगंधर बाहु सुबाहु सुजाए य । सयंपभं उपभाणण मणंतवीरिय ट्ठम चेव सूरपहं विसालं च वइरधरं चंदाणण नमस्सामि । चंदबाहु भुजंगम मीसर नेमिप्पहं वीरं महभदं देवजसं अजियवीरियं वीसइमं वंदे । एए उ विहरमाणा होति लहुपए वि विदेहेसु ॥ १६६॥ ॥ १६७॥ ॥ १६८ ॥ ॥ १६९ ।। ॥ १७० ॥ ॥ १७१ ॥ ४०१ For Private And Personal Use Only
SR No.020964
Book TitleShastra Sandeshmala Part 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2009
Total Pages430
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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